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पंजाब के किसानों ने रविवार को चौथे दौर की बातचीत में केंद्र से मिले प्रस्ताव को ठुकराकर 21 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों ने कहा कि अब केंद्र से कोई बात नहीं होगी। वह शांतिपूर्ण जाना चाहते हैं। हरियाणा की सीमा में अब कोई भी बाधा उन्हें रोक नहीं पाएगी। 

अंबाला/जींद। हरियाणा के शंभू और दातासिंहवाला बार्डर पर पिछले एक सप्ताह से बैठे किसानों ने रविवार को बातचीत में केंद्र से मिला प्रस्ताव सोमवार को ठुकरा दिया। जिसके बाद पंजाब के किसानों ने 21 फरवरी को दिल्ली कूच करने का ऐलान किया। किसान नेताओं ने कहा कि वह शांतिपूर्ण दिल्ली जाना चाहते हैं। हरियाणा सरकार अब तक आंसू गैस व प्लास्टिक की गोलियां चलाकर किसानों को उकसाने का प्रयास करती रही है। अब हरियाणा सरकार की कोई भी बाधा 21 फरवरी को उन्हें दिल्ली जाने से नहीं रोक पाएगी। शंभू बार्डर से किसानों ने देश के सभी किसान संगठनों से दिल्ली कूच से पहले साथ आने का आह्वान किया। रविवार को केंद्र ने किसानों के साथ चौथे दौर की बातचीत की थी। जिसके बाद केंद्र ने एमएसपी पर किसानों को एक प्रस्ताव सौंपा था। जिस पर किसानों ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तथा सोमवार को केंद्र सरकार के प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हुए अपनी सभी मांगे मानने तक आंदोलन से पीछे नहीं हटने का ऐलान किया।

पहले दो दिन हुई थी झड़प 

एमएमपी गारंटी, किसानों की कर्ज माफी, किसान पेंशन व किसानों पर दर्ज मुकदमें दर्ज करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए निकले पंजाब के किसान पिछले एक सप्ताह से हरियाणा की सीमा पर शंभू और दातासिंहवाला बार्डर पर जमे हुए हैं। हरियाणा में प्रवेश को लेकर पहले दो दिन किसानों व पुलिस में कई बार झड़प हुई। जिसमें किसान व फोर्स को चोटें आई। पांच दिन से दोनों जगह छुटपुट घटनाओं को छोड़कर शांति बनी रही है, परंतु तनाव कम नहीं हो पाया है।

चार बार आमने सामने बैठे सरकार व किसान

एक सप्ताह के दौरान किसान संगठन व केंद्र सरकार बातचीत के लिए चार बार आमने सामने बैठे। पहले तीन दौर की बातचीत में दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई, परंतु रविवार को हुई बातचीत के केंद्र से मिले प्रस्ताव के बाद आंदोलन खत्म होने की संभावना बढ़ी थी। सोमवार को किसानों ने एमएसपी पर रविवार को केंद्र से मिले प्रस्ताव को न केवल खारिज किया, बल्कि भविष्य में बातचीत करने की बजाय दिल्ली कूच करने व अपनी सभी मांगें नहीं मानने तक आंदोलन करने का ऐलान कर दिया।

मंगलवार-बुधवार का दिन रहेगा अहम 

हरियाणा की खापों व किसान संगठनों के पंजाब के किसानों के साथ आने के सुनाई दे रहे स्वरों से हरियाणा सरकार के लिए मंगलवार व बुधवार का दिन अहम रहेंगे। हरियाणा सरकार अब तक पंजाब के किसानों को सीमा पर रोकने में सफल रही हैं, परंतु हरियाणा से समर्थन मिलने के बाद सरकार के लिए किसानों को रोक पाना इतना आसान नहीं होगा। जिससे दिल्ली सीमा से सटे क्षेत्रों में किसानों की आहट से फिर 2020-2021 की कहानी दोहराने का डर सताने लगा है।

टीकरी व सिंघू बार्डर पर भी सख्त पहरा

किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान को देखते हुए हरियाणा से लगते टीकरी व सिंघू बार्डर पर दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए हैं। दिल्ली पुलिस ने कई लेयर का सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। 2020-2021 के आंदोलन के अहम केंद्रों में शामिल रहे थे। 

आधी रात तक चली थी बातचीत

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मूंडा, पीयूष गोयल व नित्यानंद राय के साथ किसान संगठनों की बातचीत आधी रात तक चली थी। दोनों पक्षों ने बातचीत को सार्थक माना था। किसान नेताओं ने केंद्र के प्रस्ताव पर खुशी जताने के साथ साथियों से बातचीत का रास्ता भी रखा था। सोमवार को किसान संगठनों ने केंद्र के प्रस्ताव से असहमति जताते हुए ठुकरा दिया।

भ्रमित करने का लगाया आरोप

किसान नेता सरवन सिंह पंथेर व जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि केंद्र के मंत्रियों ने बैठक में कुछ और कहा तथा मीडिया में कुछ और चल रहा है। हमने निष्कर्ष के बाद केंद्र के प्रस्ताव को ठुकराने के साथ भविष्य में सभी मांगें नहीं मानने तक बातचीत नहीं करने का भी निर्णय लिया है।

पहले क्या कहा था

रविवार आधी रात तक चली बातचीत के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा था कि केंद्र सरकार ने एमएसपी पर पांच साल की योजना सहित कुछ और प्लान पेश सामने रखे हैं, इसके बाद किसानों ने फिलहाल 'दिल्ली चलो' मार्च पर रोक लगाई है। हमने फिलहाल दो दिन का समय मांगा है। हम अपने साथियों के साथ में बातचीत करेंगे. अगर हमारे बीच सहमति बन गई तो हम आंदोलन वापस लेंगे। इसके बाद भी सहमति नहीं बनती है, तो फिर 21 फरवरी को दिल्ली की ओर कूच करेंगे।

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