योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़। आखिरकार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसान संगठनों द्वारा दिल्ली कूच को लेकर साफ कर दिया है कि तय मानकों के अंदर रहकर लोकतंत्र में प्रदर्शन करना चाहिए, ना कि ट्रैक्टर और हथियार लेकर कानून व्यवस्था भंग की जाए। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि दिल्ली जाने के लिए कोई भी किसी को रोकता नहीं है लेकिन पिछली बार का अनुभव ठीक नहीं रहा, इसलिए कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कदम उठाने पड़ते हैं। किसानों के 13 फरवरी को दिल्ली कूच को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को साफ कर दिया है कि कानून व्यवस्था को किसी भी सूरत में बनाकर रखा जाएगा। दिल्ली जाने और कूच के लिए बहुत सारे साधन हैं, क्योंकि बसें, ट्रेनें सभी चल रहा है। लेकिन आम लोगों को दिक्कत और परेशानी कानून व्यवस्था को भंग नहीं होने देंगे।
अच्छा नहीं रहा पहले का अनुभव
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहले का अनुभव अच्छा नहीं रहा। जिसने हमें प्रदेश में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ऐसे कदम उठाने को विवश कर दिया। उन्होंने पंचकूला में चलो बूथ अभियान के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री की सलाह बसें और ट्रेन बहुत हैं, इस तरह के माहौल में ट्रैक्टर लेकर जाने की क्या मजबूरी है। इस तरह की बातों को ध्यान में रखकर ही लॉ एंड ऑर्डर के लिए व्यवस्था रखनी पड़ती है। प्रदर्शन डेमोक्रेसी में तय मानक के हिसाब से ही होना चाहिए।
बैरिकेडि्ंग व इंटरनेट बंद करना गलत
किसान नेताओं द्वारा लगातार हरियाणा सरकार द्वारा सीमा पर बैरिकेडिंग कर दिए जाने को गलत बताया है। इनका दावा है कि किसानों की आवाज को दबाने का काम हो रहा है। काफी जिलों में इंटरनेट बंद करने को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने इसके जवाब में पिछले अनुभव की बात को दोहराया है, साथ ही कहा हम कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं देंगे।
सरकार होगी जिम्मेदार
यहां पर उल्लेखनीय है कि हरियाणा में पंजाब के किसानों को घुसने से रोकने के लिए सभी बॉर्डर सील किए जा चुके हैं। हरियाणा के सात जिलों में 13 फरवरी तक इंटरनेट बंद कर दिया है। पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि बातचीत के लिए कहकर हरियाणा के हालात क्यों बिगाड़ा जा रहा है, बैरिकेडिंग क्यों की जा रही है ? किसानों की बातों का हल न हो तो बैरिकेडिंग करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे ऐसा लगता है कि सरकार खुद किसानों को उकसाकर माहौल को टकराव वाला बनाकर बातचीत से भागना चाहती है,हालात खराब हुए तो जिम्मेदारी खट्टर सरकार होगी।;