Kaithal: किसान आन्दोलन के चलते हरियाणा व पंजाब सीमा पर स्टेट हाईवे पर स्थित टटियाना बार्डर से परेशान व्यापारियों, सवारियों, दुकानदारों, बेरोजगारों, विद्यार्थियों, मरीजों व पंजाब की तरफ जाने वाले आम लोगों ने हरियाणा सरकार से दिल्ली के सिंधू बार्डर व टिकरी बार्डर की तर्ज पर टटियाना बार्डर को खोलने की मांग की। पिछले 32 दिनों से टटियाना बार्डर पूरी तरह से शांत है और इस बार्डर पर आने की किसी भी किसान जत्थेबंदी ने कोई काल भी नहीं दी हुई है। नतीजतन इसी काल के चलते किसान आन्दोलन की शुरूआत से लेकर आज तक किसी भी किसान ने दस्तक तक नहीं दी है। नतीजतन लोगों का कहना है कि टटियाना बार्डर अब केवल लोगों की परेशानी का ही कारण बन रहा है और सरकार को अब इस बार्डर को भी खोल देना चाहिए।
पिछले 32 दिनों से शांत पड़े टटियाना बार्डर पर अब भी प्रशासन के इंतजाम कड़े
किसान आन्दोलन का 32वां दिन हो गया और आज तक किसी भी किसान जत्थेबंदी ने टटियाना बार्डर पर आकर दस्तक नहीं दी, जिसके चलते बार्डर पर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ है। परंतु सुरक्षा को लेकर प्रशासन किसी प्रकार का भी रिस्क नहीं लेना चाहता। नतीजतन बार्डर पर सुरक्षा व्यवस्था इतनी ज्यादा कड़ी है कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जानकारी के अनुसार नाके के चलते लोगों का व्यापार तो बुरी तरह से प्रभावित हो ही रहा है परंतु उच्च पढ़ाई करने के लिए चीका से पटियाला व चंडीगढ़ जाने वाले विद्यार्थियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नाके के चलते ना केवल वे परेशान होते हैं, बल्कि पैदल गुजरने से उनका कीमती समय खराब हो रहा है, जिसके चलते सरकार द्वारा इतना कड़ा नाका लगाने से सभी वर्गों के लोगों में भारी रोष पनप रहा है।
नाके को पार करने में अपाहिजों को आ रही भारी दिक्कत
नाकों को पैदल लांघने व कंटीली तारों से निकलने में जहां आम जन, महिलाओं व बच्चों को परेशानी आ ही रही है, वहीं अपाहिज लोगों को निकलने व नाके से करीब एक किलोमीटर पैदल चलने में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी अनुसार कई अपाहिज लोगों के पास तो कुछ सामान आदि भी होता है जिसके चलते कई अपाहिज नाका पार करते हुए गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं परंतु प्रशासन नाका खोलने को लेकर टस से मस नहीं हो रहा। लोगों ने एक बार फिर सरकार से मांग की कि नाके की कम से कम एक लेयर को खोलकर उक्त लोगों को राहत प्रदान की जाए।