Haryana Football Player: फुटबॉल खिलाड़ी अमीर उम्मीद का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में 12 अप्रैल 1997 को हुआ था। जन्म के बाद इन्हें देखकर हर कोई हैरान रह गया। जन्म से ही इनकी दाई टांग नहीं थी। लेकिन उस समय किसी को यह नहीं पता था कि यही बच्चा दूसरों के लिए एक मिसाल बनेगा। इनके माता-पिता ने अपने इस दिव्यांग बच्चे का नाम अमीर उम्मीद रखा। आज वही अमीर उम्मीद अपनी जिंदगी में हार मान चुके लोगों को नई उम्मीद दिखा रहे हैं।
दिल्ली से किया B.Tech
काबुल के रहने वाले अमीर उम्मीद ने स्कॉलरशिप मिलने के बाद दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी से B.Tech की डिग्री हासिल की और फिलहाल वह हरियाणा में रह रहे हैं। जन्म से ही एक टांग पर चलने वाले 12 साल की उम्र में उम्मीद ने फुटबॉल खेलने की ठानी थी। शुरुआती दौर में खेलते-खेलते कई बार गिरे भी और बैसाखी के सहारे खेलते समय उन्हें चोटे भी आई। लेकिन उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अमीर ने कभी हार नहीं मानी
अमीर उम्मीद लगभग साल 2009 से फुटबॉल खेल रहे हैं और उनके पिता भी फुटबॉल खेलते थे, जो अफगानिस्तान टीम के टॉप-5 प्लेयर में शामिल रहे हैं। अमीर का कहना है कि मैंने कभी सोचा नहीं कि मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा। ऐसा कभी दिमाग में भी नहीं आया। अमीर का मानना है कि हम जो दिल से ठान लेते हैं, वह पा कर रहते हैं।
भारत के लिए खेलना चाहते आमीर
अमीर उम्मीद साल 2014 में इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेडक्रॉस के खिलाडी रह चुके हैं। साथ ही 5 साल तक अफगानिस्तानी टीम का कैप्टन भी रह चुके हैं। यही नहीं, भारत आने के बाद भी उन्होंने फुटबॉल खेलना नहीं छोड़ा। उम्मीद कहते हैं कि अब जाकर उन्हें भारत के लिए भी खेलने का मौका मिला है।
इससे पहले वे केरल राज्य के लिए खेल चुके हैं। इसी टूर्नामेंट में वह बेस्ट प्लेयर भी रहे। उनका कहना है कि भारत और अफगानिस्तान का रिश्ता भाई-भाई के जैसा है। वे साल 2019 से भारत में रह रहे हैं। यहां पर उन्हें अपनों की तरह सम्मान दिया गया। अब उनकी इच्छा है कि वह भारत के लिए खेलें।
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उम्मीद ने देखी थी दंगल मूवी
अमीर बताते हैं कि हरियाणा में रहकर उन्हें बहुत सीखने को मिल रहा है। उन्होंने सबसे पहले दंगल मूवी देखी थी, जिस मूवी का एक्शन उन्हें काफी आया था। वे कहते हैं कि मुझे हिंदी पहले से आती थी, लेकिन अब वह हरियाणवी भी सीख रहे हैं। उम्मीद ने बताया कि उनके परिवार में अम्मी और अब्बू हैं। उनके अब्बू अमीर करीब एक रिटायर्ड टीचर हैं और अब घर पर ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं। उनके पिता भी अफगानिस्तान के लिए खेल चुके हैं। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में हालात काफी खराब है और वह चाहते हैं कि उनके अम्मी-अब्बू दोनों उसके साथ भारत में ही रहें।