Anil Vij Controversy: हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर से नाराजगी जताई है। अब उन्होंने लोकसभा चुनावों को लेकर होने वाले बैठकों से भी दूरी बना ली है। दरअसल, लोकसभा चुनाव प्रभारी और राजस्थान भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया इन दिनों हरियाणा दौरे पर हैं। उन्होंने हाल ही में गुरुग्राम में ओवरऑल मीटिंग में शामिल होने के बाद लोकसभा वाइज मीटिंगें लेना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में पंचकूला में उन्होंने अंबाला लोकसभा सीट को लेकर मीटिंग कर इसकी शुरुआत कर दी है। अहम बात यह है कि इन बैठकों में शामिल होने के लिए विज नहीं पहुंचे। वहीं, अंबाला लोकसभा के तहत आने वाली अंबाला कैंट विधानसभा से विधायक हैं और पार्टी के सीनियर लीडर भी हैं। चुनावी बैठको से उनकी नदारदगी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है
क्यों हैं अनिल विज नाराज
बता दें कि अनिल विज की नाराजगी की शुरुआत राज्य सरकार में सीएम के बदलाव से शुरू हुई। दरअसल, सीएम के बदलाव के बारे में अनिल विज को कोई जानकारी नहीं मिली थी। लेकिन इस बदलाव को लेकर हो रही इस प्रक्रिया की जानकारी पूर्व सीएम मनोहर लाल को थी, इसमे अहम यह रही कि मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद पूर्व गृह मंत्री उन्हीं के साथ ही एक हार में घूमते रहे, लेकिन इसके बाद भी विज को उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी। इसके बाद विधायक दल की मीटिंग में नायब सैनी के नेता चुने जाने से वह हैरान रह गए और इसके बाद वह नाराज होकर बैठक छोड़कर चले गए। उनकी नाराजगी इस कदर रही कि उन्होंने नायब सैनी के मंत्रिमंडल से भी किनारा कर लिया।
पूर्व सीएम को लगातार बना रहे निशाना
अब अनिल विज लगातार मनोहर लाल को निशाना बना रहे हैं। हाल ही में उन्होंने पूर्व सीएम को लेकर दो बड़े बयान दिए, जिनमें उन्होंने अपनी नाराजगी स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि सरकार बदलने की पूरी जानकारी मनोहर लाल को थी। इसके बाद उन्होंने कहा है कि सरकार में हुए इस बदलाव का सूत्रधार मनोहर लाल ही रहे। हालांकि, उनकी नाराजगी के बीच मनोहर लाल उनसे मिलने के लिए अंबाला भी गए थे, लेकिन दोनों के बीच की खटास अभी तक दूर नहीं हुई है।
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विज की नाराजगी का चुनाव पर असर
कहा जा रहा है कि विज की नाराजगी के कारण लोकसभा चुनाव पर काफी असर पड़ने वाला है। वजह यह है कि वह पार्टी के सीनियर नेता हैं। वह लगातार 2014 से अब तक राज्य सरकार के मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं। इसके साथ ही उनकी ईमानदार छवि भी राज्य में चर्चा का विषय रहती है। आम जनता से उनका जुड़ाव इतना रहता है कि वह हर सप्ताह लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए अपने यहां जनता दरबार लगाते रहे, जिसमें हजारों की संख्या में लोग पहुंचते थे। हालांकि, उनके जनता दरबार को लेकर काफी कंट्रोवर्सी रही, लेकिन इसके बाद भी उनका दरबार जारी रहा। इस चलते राज्य के अन्य नेताओं की अपेक्षा वह काफी चर्चा में रहे हैं।