नरेन्द्र वत्स, Rewari: महेंद्रगढ़ के उन्हाणी के पास हुए भयानक हादसे ने सभी को झकझोर दिया है। मंत्री से लेकर संतरी तक अब नियमों की पालना को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यह गंभीरता ज्यादा समय तक बरकरार नहीं रहती। मासूम बच्चों की जिंदगी जोखिम में डालने का सबसे बड़ा खेल बसों की फिटनेस जांच के समय ही शुरू हो जाता है। प्राइवेट स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसी बसें बच्चों की जान जोखिम में डाल रही हैं, जो पूरी तरह खटारा हो चुकी हैं। बसों की फिटनेस जांच का कार्य महज कागजों में पूरा कर दिया जाता है। कई स्कूलों में बसों पर कम वेतन के चक्कर में नशेड़ी और अनाड़ी चालक लगाए हुए हैं, जिनकी बानगी आए दिन सड़कों पर देखने को मिलती है।
कई स्कूलों की बस सड़कों पर चलने लायक नहीं
स्कूल बसों की फिटनेस का कार्य आरटीए सचिव के अधीन मोटर व्हीकल ऑफिसर को करना होता है। जिले में बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों के पास ऐसी बसें मौजूद हैं, जो सड़कों पर चलने के लायक ही नहीं हैं। बड़ी संख्या में बसों में इंडिकेटर से लेकर ब्रेक लाइट तक नहीं हैं। पुरानी और खटारा बसों में रिसोल और कमजोर टायर दूर से ही नजर आ जाते हैं। इन बसों का सड़कों पर बच्चों को लेकर चलना सुरक्षित नहीं होता। नियमानुसार अगर प्राइवेट स्कूलों की बसों की जांच की जाए, तो आधे से अधिक बस अनफिट मिल सकती हैं। इसके बावजूद पासिंग के समय बस संचालक इन बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट लेने में कामयाब हो जाते हैं। अधिकारियों की जेब गर्म होने के कारण बच्चों की जान की परवाह कोई नहीं करता।
वैध लाइसेंस होने की भी गारंटी नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले प्राइवेट स्कूल की बसों को चलाने के लिए ज्यादातर ऐसे चालक लगाए हुए हैं, जो कम वेतन में भी स्कूल बसों को दौड़ा रहे हैं। इनमें से कई चालकों के पास वैध लाइसेंस तक होने की गारंटी नहीं है। बड़ी संख्या में बस चालकों को ट्रैफिक संकेतों तक की जानकारी नहीं है। शराब से लेकर सुल्फा व स्मैक तक का इस्तेमाल करने वाले चालक भी बसों को दौड़ा रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस या आरटीए अधिकारियों की ओर से इन चालकों की जांच तक नहीं की जाती।
हादसे के बाद स्कूल संचालकों में हड़कंप
ईद का सरकारी अवकाश होने के बावजूद जिले के अधिकांश प्राइवेट स्कूल खुले हुए थे। बच्चों के अस्तपाल पहुंचने और शिक्षा मंत्री के आने के बाद प्राइवेट स्कूल संचालकों में हड़कंप मच गया। स्कूल संचालकों ने तुरंत स्कूलों की छुट्टी कर दी। कई स्कूलों की बसें उसी अस्पताल के सामने से बच्चों को घर छोड़ने के लिए गुजरने लगी, जिस अस्पताल में शिक्षा मंत्री आई हुई थी। आनन-फानन में पुलिस और शिक्षा अधिकारियों ने इन बसों को रुकवाकर पूछताछ करना शुरू कर दिया।
बोर्ड सचिव को जवाब देना हुआ मुश्किल
हादसे के बाद प्राइवेट अस्पताल पहुंचे बोर्ड सचिव वीपी यादव को उस समय पत्रकारों के सवालों के जवाब देना मुश्किल बन गया, जब उन्हें बताया गया कि उनका स्कूल भी अवकाश के दिन खुला हुआ था। बोर्ड सचिव बता रहे थे कि अवकाश के दिन प्राइवेट स्कूल संचालकों को नियमों की पालना करते हुए स्कूल बंद रखने चाहिएं। इसी दौरान उन्हें बताया गया कि आपका स्कूल खुला होने का वीडियो वायरल हो रहा है, तो वह कहने लगे कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है।
कई नेताओं ने जाना बच्चों का कुशलक्षेम
हादसे के बाद शहर के एक अस्पताल में 12 और दूसरे में दो बच्चों को लाया गया। शिक्षा मंत्री के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल, अटेली के विधायक सीताराम, बोर्ड सचिव वीपी यादव व शिक्षा विभाग के अधिकारी बच्चों का कुशलक्षेम जानने के लिए अस्पताल पहुंचे। डॉ. बनवारीलाल ने घटना को दुखद बताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
खुद बच्चों की गारंटी बने एसएचओ
प्राइवेट अस्पताल में घायल बच्चों की सूचना मिलने के बाद मॉडल टाउन एसएचओ कृष्ण कुमार अस्पताल पहुंच गए। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को सभी बच्चों का तुरंत उपचार करने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी बच्चों के अभिभावक के रूप में वह खुद मौजूद हैं। उनके इलाज के लिए अगर पैसों की जरूरत होगी, तो उसे भी वह पूरा करेंगे। बच्चों की ओर से वह हर तरह की गारंटी खुद ले रहे हैं। उन्होंने बच्चों के पास जाकर उनकी हिम्मत भी बढ़ाई।