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हरियाणा के गुरुग्राम से पूर्व प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव के स्थान पर राज बब्बर को टिकट मिलने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अगर इस सीट पर राज बब्बर को मैदान में उतारा जाता है, तो भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह के लिए जीत की राह आसान हो सकती है।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: गुरुग्राम सहित प्रदेश की सभी दस सीटों पर मजबूत प्रत्याशियों के चयन पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसी बीच गुरुग्राम से पूर्व प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव के स्थान पर राज बब्बर को टिकट मिलने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अगर इस सीट पर राज बब्बर को मैदान में उतारा जाता है, तो भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह के लिए जीत की राह आसान हो सकती है। राज बब्बर के बाहरी होने का मुद्दा तो उन्हें नुकसान पहुंचा ही सकता है, साथ ही कांग्रेस में भी भीरतघात की आशंका काफी हद तक बढ़ सकती है।

2009 में राव ने कांग्रेस की टिकट पर जीता था चुनाव

वर्ष 2009 में नया लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीता था। इसके बाद दोनों चुनाव भाजपा की टिकट पर शानदार तरीके से जीते गए। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रदर्शन को देखा जाए, तो राव इंद्रजीत सिंह के बाद कैप्टन अजय सिंह यादव हार के बावजूद सबसे मजबूत प्रत्याशी के रूप में सामने आ चुके हैं। कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए राव का मुकाबला बहुजन समाज पार्टी की टिकट से चुनाव लड़े जाकिर हुसैन से हुआ था। राव को 23.38 प्रतिशत और जाकिर को 15.56 प्रतिशत वोट मिले थे।

2014 के चुनाव में कांग्रेस ने राव धर्मपाल को मैदान में उतारा

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने राव धर्मपाल को राव इंद्रजीत के मुकाबले मैदान में उतारा था। उस समय कैप्टन अजय सिंह यादव ने धर्मपाल की टिकट का विरोध किया था। परिणाम यह रहा कि धर्मपाल महज 7.25 फीसदी मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। इस चुनाव में भी राव को इनेलो प्रत्याशी जाकिर हुसैन से चुनौती मिली थी। गत लोकसभा चुनावों में कैप्टन अजय सिंह यादव ने सीधे मुकाबले में हार के बावजूद 4.95 लाख वोट लेकर सबसे सफल पराजित प्रत्याशी के रूप में खुद को खड़ा किया था। कैप्टन को मिले वोट वर्ष 2009 में कांग्रेस की टिकट पर लड़े राव इंद्रजीत सिंह को मिले वोटों से भी काफी ज्यादा रहे थे।

कैप्टन को मिलेगा सिर उठाने का मौका

कैप्टन की टिकट कटवाने के लिए इस बार पार्टी में उनका विरोधी खेमा पहले से ही एक्टिव हो गया था। इस सीट पर कैप्टन के स्थान पर राव दानसिंह को टिकट दिलाने के प्रयास शुरू किए गए थे। कैप्टन ने इसी आशंका को देखते हुए अपने जनसंपर्क अभियान पर ब्रेक लगा दिए थे। उन्होंने इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब अगर राज बब्बर को कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतारा जाता है, तो कैप्टन हार की सूरत में ठीकरा विरोधी खेमे के सिर फोड़ने की स्थिति में खुलकर नजर आएंगे।

भविष्य में कैप्टन के लिए राह होगी आसान

अगर कांग्रेस इस सीट पर राज बब्बर को मैदान में उतारती है, तो चुनाव परिणामों को लेकर दिग्गजों की नजर रहेगी। राज बब्बर की जीत को दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में बहुत बड़े फेरबदल से जोड़ा जाएगा। हार की सूरत में अगले लोकसभा चुनावों के लिए कैप्टन का दावा इस सीट पर इस बार से ज्यादा मजबूत हो जाएगा। किसी गैर अहीर प्रत्याशी को टिकट मिलना कैप्टन के लिए आने वाले समय में फायदे का सौदा ही साबित होगा। कांग्रेस में भीतरघात की आशंका भाजपा से भी ज्यादा रहेगी।

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