नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: गुरुग्राम लोकसभा सीट पर इस बार फिर से भाजपा और कांग्रेस में ही आर-पार की जंग होने के पूरे आसार बने हुए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं होने से अभी तक इस सीट पर चुनावी रंग नहीं चढ़ पाया है। प्रमुख प्रत्याशी के अभाव में इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबले के आसार दूर तक नजर नहीं आ रहे। कई मायनों में भाजपा का पलड़ा इस सीट पर एक बार फिर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। वर्ष 2009 में दूसरी बार अस्तित्व में आई इस सीट पर मुकाबला चाहे आर-पार का रहा हो या फिर त्रिकोणीय, दोनों ही स्थिति में बाजी राव इंद्रजीत सिंह के पक्ष में रही है।
2014 में इनेलो ने बिगाड़ा था कांग्रेस का समीकरण
2014 के चुनावों में राव भाजपा की टिकट पर मैदान में थे। इस चुनाव में मुकाबला लगभग त्रिकोणीय बन गया था। भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेस की बजाय इनेलो से जाकिर हुसैन ने 20.06 फीसदी वोट हासिल किए थे। कांग्रेस प्रत्याशी राव धर्मपाल 7.25 फीसदी मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। राव को 34.95 फीसदी वोट मिले थे। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के योगेंद्र यादव ने मुकाबले में 4.31 फीसदी वोट हासिल किए थे। गत लोकसभा चुनावों से पहले जाकिर हुसैन भाजपा में शामिल हो गए थे, जबकि योगेंद्र यादव आप से किनारा कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी को गठबंधन के चलते इस बार प्रदेश में सिर्फ एक सीट मिली है, जिस कारण इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी पर नजरें टिकी हुई हैं।
कैप्टन से मिली थी राव को सीधी टक्कर
पिछले लोकसभा चुनावों को देखा जाए, तो कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव ने राव इंद्रजीत सिंह को सीधी टक्कर दी थी। राव 8.82 लाख मतों के साथ कैप्टन अजय को बड़े अंतर से हराने में कामयाब रहे थे, परंतु कैप्टन के लिए 4.95 लाख मत हासिल करना कम उपलब्धि नहीं थी। इस चुनावों बसपा प्रत्याशी के 1.85 फीसदी मतों को छोड़कर किसी अन्य दल के प्रत्याशी ने 1 फीसदी वोट भी हासिल नहीं किए थे।
टिकट में देरी का भाजपा को मिलेगा लाभ
कांग्रेस में टिकट को लेकर हुई देरी का भाजपा प्रत्याशी को बड़ा लाभ मिल सकता है। कैप्टन अजय या राज बब्बर में पार्टी किसी एक को इस सीट पर मैदान में उतार सकती है। टिकट की घोषणा होने तक भाजपा प्रत्याशी प्रचार के मामले में कांग्रेस से कहीं आगे मिलेंगे। कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद भाजपा प्रत्याशी को कमजोर हलकों तक प्रचार के लिए दोबारा पहुंचने का मौका भी मिल जाएगा।
पूर्व में किया गया जनसंपर्क आएगा काम
कैप्टन ने लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट शुरू होने के साथ ही अपना जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया था। कांग्रेस में टिकट की जंग शुरू होने से पहले वह करीब 450 गांव कवर कवर चुके थे। हुड्डा खेमे का टिकट में दखल उनके अभियान को ब्रेक लगा गया। जनसंपर्क की जगह कैप्टन टिकट की जंग में उलझ गए। अगर उन्हें टिकट मिलती है, तो पुराने जनसंपर्क का लाभ जरूर मिलेगा।