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हरियाणा विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी पार्टी भाजपा या फिर कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नाराज नेताओं ने बड़ों बड़ों की धड़कनों को बढ़ा रखा है। मान मनौव्वल का सिलसिला दोनों ही पार्टियों में चला, लेकिन कई चेहरों को मनाने में कामयाबी नहीं मिल सकी। अब देखना है कि इसका चुनाव पर कितना असर पड़ेगा।

योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: इस बार सत्ताधारी पार्टी भाजपा या फिर कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नाराज नेताओं ने बड़ों बड़ों की धड़कनों को बढ़ा रखा है। मान मनौव्वल का सिलसिला दोनों ही पार्टियों में चला, लेकिन कई चेहरों को मनाने में कामयाबी नहीं मिल सकी। अब विस 2024 की लड़ाई को उन्होंने मुश्किल कर दिया है। पुराने राजनीति के खिलाड़ी तो अभी से दावे कर रहे हैं कि सत्ता की चाबी इन नाराज नेताओं के हाथ में ही रहेगी, क्योंकि दोनों पार्टियों को पूरी तरह से बहुमत नहीं मिलने जा रहा।

नेताओं को सताने लगी चिंता

हरियाणा विधानसभा चुनावों को लेकर रात दिन पसीना बहा रहे नेताओं को अब अपने ही कई नेताओं की चिंता है, जो उनकी विजय के रास्ते का रोड़ा बने हुए हैं। सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए इस बार सूबे में कुछ इस तरह के चेहरे हैं, जो लगातार टेंशन देने वाले बन चुके हैं। विश्लेषक बताते हैं कि आने वाले वक्त में इन बागियों ने बाजी मार ली, तो सत्ता की चाबी को लेकर भी धर्मसंकट पैदा हो सकता है।

आमने सामने की टक्कर के दावे ज्यादा

सूबे में सियासत के खिलाड़ी कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर के दावे कर रहे हैं, हालांकि कुछ जिलों में बागी और नाराज नेताओं द्वारा खेल बिगाड़ा जाना स्वाभाविक है। सत्ता की लड़ाई भले ही आमने सामने की हो, लेकिन इन दोनों ही पार्टियों का हाल सभी जानते हैं। कभी कदावर नेता सैलजा नाराज होकर पिक्चर से गायब हुई, तो नीचे से लेकर ऊपर तक सभी की धड़कने तेज हो गई। दूसरी तरफ भाजपा नेताओं ने भी जमकर सैलजा को आफर पर आफर दिए। सैलजा सामने आई, तो इन सभी नेताओं को नसीहत दी और कहा कि पहले अपनी पार्टी के नाराज नेताओं को संभाल लो, हमारी बात बाद में करना है।

नाराज व गायब चेहरों पर दिग्गजों की नजर

सूबे के दिग्गज नेताओं की नाराजगी सबसे ज्यादा कांग्रेस और भाजपा को सता रही है। खास बात यह है कि नाराज नेताओं द्वारा भले ही खुलकर कुछ नहीं कहा जा रहा, लेकिन चुनाव में सहयोग भी नहीं दिया जा रहा। जानकार मानते हैं कि 5 से 10 सीटें भी इन लोगों ने हराने का खेल कर दिया, तो नया सिरदर्द हो जाएगा। अर्थात सत्ता की चाबी को लेकर विवाद हो जाएगा। कमोबेस भाजपा और कांग्रेस दोनों में स्थिति अंदरखाने इसी तरह की बनी हुई है। कैडर और अनुशासन के लिए मशहूर भाजपा में इस बार सबसे ज्यादा खींचतान और नाराजगी रही है।

सीएम के लिए ये कर रहे दावे

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में सीएम पद को लेकर दावे ठोके जा रहे हैं। भाजपा में पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, राव इंद्रजीत सिंह द्वारा सीएम पद पर वरिष्ठता के हिसाब से दावा किया जा रहा है। वहीं कांग्रेस में भी रणदीप सिंह सुरजेवाला या फिर कुमारी सैलजा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा सभी अपने-अपने को सीएम का चेहरा बता रहे हैं। इसके साथ ही वे यह भी कहना नहीं भूलते कि हाईकमान ही अंत में सीएम का चेहरा तय करेगा।

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