Haryana BJP on Anil Vij: हरियाणा की राजनीति में इस समय बड़ा सियासी उबाल देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री अनिल विज को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली के खिलाफ दिए गए उनके विवादित बयानों के चलते जारी किया गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने विज से तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है, अन्यथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
क्या है पूरा मामला?
अनिल विज ने हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर कई तीखे बयान दिए थे। उन्होंने सीएम नायब सैनी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री सिर्फ उड़नखटोले में घूम रहे हैं और जनता की समस्याओं से अनजान हैं। इसके अलावा, उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली से इस्तीफे की मांग भी की थी, जब हिमाचल प्रदेश में उनके खिलाफ एक मामला दर्ज हुआ था। बीजेपी ने विज के इन बयानों को पार्टी अनुशासन के खिलाफ माना और तुरंत नोटिस जारी कर दिया। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि इस तरह की बयानबाजी से संगठन की छवि को नुकसान पहुंचता है और कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाता है।
Haryana BJP issues a show cause notice to State's Minister Anil Vij asking him to reply within 3 days over his recent public statements against the party president and Chief Minister position. pic.twitter.com/K7zmxENi9R
— ANI (@ANI) February 10, 2025
भाजपा हाईकमान की नाराजगी, कार्रवाई की संभावना
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा आलाकमान अनिल विज की बयानबाजी से बेहद नाराज है। पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर अनिल विज तीन दिन के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं देते, तो उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। पार्टी के अंदर यह चर्चा भी तेज हो गई है कि विज के विभागों में फेरबदल हो सकता है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय विज के जवाब के बाद ही लिया जाएगा।
अनिल विज की पुरानी नाराजगी
यह पहली बार नहीं है जब अनिल विज पार्टी से नाराज हुए हैं। मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले पर भी विज ने असंतोष जताया था और बैठक से बाहर चले गए थे। उनका कहना था कि वह पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, लेकिन उन्हें कभी मुख्यमंत्री पद के लिए मौका नहीं दिया गया। इसके अलावा, जब उन्हें गृह मंत्रालय न देकर अन्य विभाग सौंपे गए, तब भी उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की थी। पार्टी नेतृत्व और सरकार के प्रति उनके तल्ख तेवर लगातार चर्चा का विषय बने रहे हैं।
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