Haryana Government Increase EDC: हरियाणा सरकार ने 8 साल बाद एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (EDC) को 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। जिसकी वजह से मकान और फ्लैट की कीमत भी बढ़ गई है। जिसकी वजह से लोगों के लिए मकान खरीदना मुश्किल हो जाएगा। सरकार का यह भी आदेश है कि हर साल EDC में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। EDC को लेकर नगर एवं आयोजना विभाग के निदेशक अमित खत्री की तरफ से भी नोटिस जारी कर दिया गया है।
नोटिस में कहा गया है कि EDC वसूलने के लिए हरियाणा को 6 जोन में बांटा गया है। जबकि पंचकूला के लिए अलग से दरों को निर्धारित किया गया है। ईडीसी में हर साल 10 प्रतिशत बढ़ोतरी होने की वजह से इसका असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। ऐसे में बिल्डर पूरा टैक्स खरीदारों से वसूल करेंगे। ऐसे में फ्लैट और प्लाट कीमत बढ़ना तय है।
EDC बढ़ने से कैसे बढेंगे प्लाट के रेट ?
EDC जमीन पर वसूला जाता है। अगर किसी व्यक्ति ने 200 गज का घर बनाया है तो उसे 800 रुपए प्रति स्क्वेयर मीटर के हिसाब से सवा लाख रुपए देने पड़ेंगे। लेकिन अब EDC को 20% तक बढ़ा दिया गया, तो ऐसे में उस व्यक्ति को अब 1 लाख 45 हजार रुपए एक्स्ट्रा चुकाने पड़ेंगे। फ्लैट या मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के हिसाब से देखा जाए तो अगर 200 गज प्लाट पर 4 फ्लोर बनाए जाएंगे तो कुल EDC को 4 हिस्सों में बंट जाएगी। लेकिन जिनका पहले से ही मकान बना हुआ है, तो उन्हें इसका कोई नुकसान नहीं होगा।
किन क्षेत्रों में कम और कहां ज्यादा रहेगा EDC का असर
हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोहना और आसपास के क्षेत्रों पर EDC का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। क्योंकि इन क्षेत्रों में फ्लैट्स की संख्या सबसे ज्यादा पाई गई है। जिसकी वजह के इन क्षेत्रों को हाइपर और हाई पोटेंशियल जोन में शामिल किया गया है।
मीडियम पोटेंशियल जोन में अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, बहादुरगढ़, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, बावल, पलवल, जगदारी-यमुनानगर, धारूहेड़ा, पृथला, गन्नौर और होडल को शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों पर बिल्डर की नजरे हैं,क्योंकि आने वाले समय में यहां फ्लैट्स की संभावना बढ़ सकती है। दूसरी जिन क्षेत्रों में ईडीसी बढ़ने का असर ज्यादा नहीं पड़ेगा उन्हें लो पोटेंशियल जोन में रखा गया है। इनमें भिवानी, फतेहाबाद, जींद, कैथल, महेन्द्रगढ़, नारनौल, सिरसा, झज्जर शामिल है।
आठ साल बाद EDC में बदलाव
पिछले 8 सालों से 2015 की पॉलिसी के तहत प्रदेश में EDC को वसूला जा रहा था। EDC के बढ़ने से मिलने वाले राजस्व को क्षेत्र के विकास पर खर्च किया जाएगा। पहले साल 2018 में सरकार ने गुरुग्राम और रोहतक सर्किल की EDC दरों के निर्धारण करने की जिम्मेदारी आईआईटी दिल्ली और फरीदाबाद, पंचकूला और हिसार सर्किल के लिए आईआईटी रुड़की को सौंपा गया था। EDC दरों के निर्धारण करने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से अब तक पहले वाली इंडेक्सेशन नीति और EDC दरें जारी रहीं।
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