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दि रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन की हड़ताल खत्म होने का नाम नहीं ले रही। वहीं, तहसील में कार्य करवाने के लिए आ रहे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उधर, सरकार को भी पटवारियों के धरने से अब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है।

Haryana: दि रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन की हड़ताल खत्म होने का नाम नहीं ले रही। वहीं, तहसील में कार्य करवाने के लिए आ रहे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उधर, सरकार को भी पटवारियों के धरने से अब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है। सरकार व पटवारियों के बीच मांगों को लेकर कोई सहमति भी बनती नजर नहीं आ रही, जिसके चलते हड़ताल कब तक चलेगी, यह कहना भी मुश्किल है। बावजूद इसके सरकार की तरफ से पटवारियों का धरना समाप्त करवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।

3 जनवरी से धरने पर डटे हुए हैं पटवारी

वेतन विसंगति को दूर करने, पटवारियों की स्थाई भर्ती करने जैसी मांगों को लेकर दि रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन के सदस्य तीन जनवरी से धरने पर डटे हुए है। पहले तीन दिन की हड़ताल की थी, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के कारण हड़ताल को आगे बढ़ाया गया। थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ाते हुए पटवारियों की हड़ताल 25 जनवरी तक पहुंच चुकी हैं और आगे हड़ताल कितने दिन ओर चलेगी, यह कहना अभी मुश्किल है। धरने पर लगातार अन्य कर्मचारी व सामाजिक संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है, जिससे पटवारियों में जोश बढ़ता जा रहा है।

सरकार को रोजाना हो रहा करोड़ों का नुकसान 

पटवारियों की हड़ताल के कारण सरकार को रोजाना करोड़ों का नुकसान हो रहा है। सूत्रों की माने तो एक दिन में रजिस्ट्ररी, इंतकाल व नकल निकलवाने वालों से प्रदेशभर से करीब 12 से 13 करोड़ का राजस्व सरकार को प्राप्त होता है। लेकिन पिछले 23 दिन से पटवारियों की हड़ताल ने सरकार को अरबों का नुकसान करवाया है। बावजूद इसके सरकार की ओर से पटवारियों से बातचीत करने की तरफ कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।

तहसील में अटके कार्य, लोग हुए बेहाल

पटवारियों की हड़ताल के कारण तहसील में कामकाज ठप्प हो गया है। न तो लोगों की रजिस्ट्री हो रही, न इनकम सर्टिफिकेट बन रहे। डॉमेसाइल व जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बन रहे। तहसील में सभी कर्मचारी पटवारियों के धरने का समर्थन कर रहे हैं, जिसके कारण लोगों का बुरा हाल है। रजिस्ट्ररियों की फाइल लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन काम कुछ नहीं हो रहा। लोग रोजाना तहसील आते तो हैं, लेकिन बिना काम करवाए ही उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है।

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