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गुरुग्राम की बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के निधन के बाद नायब सैनी सरकार पर बहुमत का खतरा मंडरा रहा है।

Haryana Politics: हरियाणा सरकार पर संकट के बादल फिर मंडराने लगे हैं। दरअसल, गुरुग्राम की बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का शनिवार, 25 मई को हार्ट अटैक से निधन हो गया था। निर्दलीय विधायक के निधन के बाद हरियाणा की बीजेपी सरकार पर अल्पमत का खतरा बन गया है। ऐसे में विपक्ष एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेर सकता है। इससे पहले ही विपक्ष सरकार से फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग कर चुका है।

नायब सैनी सरकार के पास 42 विधायकों का समर्थन

हरियाणा विधानसभा में मौजूदा वक्त में कुल बहुमत का आंकड़ा 44 का है, लेकिन बीजेपी सरकार के पास अब 42 ही विधायकों का समर्थन बचा है। कांग्रेस और JJP पहले ही राज्यपाल को पत्र लिखकर नायब सैनी सरकार के बहुमत साबित करने की मांग कर चुकी है। ऐसे अब फिर इस मुद्दे पर सियासत तेज हो सकती है।

हरियाणा विधानसभा में बहुमत का गणित

बता दें कि हरियाणा कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। इसमें करनाल विधानसभा से पूर्व सीएम मनोहर लाल और रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला ने इस्तीफा पहले ही दिया हुआ है। जिसके बाद हरियाणा में कुल 88 विधायक बचे। अब 25 मई को निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया, तो कुल विधायक 87 रह गए हैं और बहुमत का आंकड़ा 44 का हो गया है।

मनोहर लाल के सीएम की कुर्सी छोड़ने के बाद नायब सैनी प्रदेश का नया सीएम बनाया गया था। नायब सैनी को बीजेपी के 41, हलोपा के 1 और 6 निर्दलीय समेत 48 विधायकों का समर्थन मिला। इसके बाद मनोहर लाल और रणजीत सिंह ने इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा 3 निर्दलीय विधायकों धर्मपाल गोंदर, रणधीर गोलन और सोमबीर सांगवान ने सैनी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन बचा। अब निर्दलीय विधायक के निधन के बाद सरकार के पास 42 विधायकों का समर्थन बचा है।

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