High Court: सिरसा में आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे पुलिस अधिकारियों व अपराधियों के बीच सांठगांठ का नतीजा माना। हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों की जांच में देरी, देरी का संतोषजनक कारण न मिलने और केस की सुनवाई के दौरान पुलिस अधिकारियों की गैर मौजूदगी पर अब सिरसा के एसपी को तलब कर लिया है। अगर एसपी भी नहीं पहुंचे तो हाई कोर्ट उनके खिलाफ भी कड़ा निर्णय ले सकता है।
2016 में दर्ज केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए लगाई थी अग्रिम जमानत याचिका
हाईकोर्ट के समक्ष 2016 में दर्ज एफआईआर में गिरफ्तारी से बचने के लिए दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पहुंची थी। याचिका में बताया गया कि आठ साल पुरानी एफआईआर में पुलिस उसे गिरफ्तार करना चाहती है। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने सिरसा के एसपी से पूछा था कि ऐसा कौन सा सबूत उनके हाथ लगा है जिसके आधार पर पुलिस उसे गिरफ्तार करना चाहती है। साथ ही यह भी कि सिरसा के सभी पुलिस थानों में ऐसे कितने मामले हैं जिनकी जांच तीन वर्ष से अधिक समय से लंबित है। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार एसपी ने हलफनामा सौंपते हुए लंबित मामलों की जानकारी दी। इस हलफनामे पर हैरानी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि बहुत बड़ी संख्या में ऐसे मामले मौजूद हैं जिनमें जांच कई साल से विचाराधीन है। ऐसे मामलों की भी लंबी कतार है जिसमें आरोपी कई वर्षों से गिरफ्तार नहीं हुए और बावजूद इसके उन्हें भगोड़ा घोषित नहीं किया गया।
2021 में पुलिस ने दाखिल की थी कैंसिलेशन रिपोर्ट
हाईकोर्ट के समक्ष मौजूदा मामले में 2021 में कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की गई थी और उसके बाद कोई नया सबूत हाथ नहीं लगा, बावजूद इसके याची को गिरफ्तार करने का भी कोई ठोस कारण नहीं बताया गया। हाईकोर्ट ने सिरसा पुलिस को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया और पूछा कि आखिर क्यों आरोपियों की गिरफ्तारी बीते कई वर्षो से नहीं हुई। फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट एक मामले में पिछले पांच साल में नहीं पहुंचने पर भी हाईकोर्ट ने हैरानी जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई में मामले को बहुत गंभीरता से लिया था, लेकिन आश्चर्य की बात है कि आज राज्य सरकार के वकील की सहायता के लिए कोई भी पुलिस अधिकारी अदालत में मौजूद नहीं है। इससे स्पष्ट है कि संबंधित अधिकारियों ने इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश के प्रति सम्मान नहीं दिखाया। ऐसे में हाईकोर्ट ने अब सिरसा के एसपी को अगली सुनवाई पर खुद हाजिर होने का आदेश दिया।