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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पोस्टमार्टम करने में डाक्टरों के उदासीन रवैये पर चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिवों को नोटिस दिया। 

हाईकोर्ट: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पोस्टमार्टम करने में डाक्टरों के उदासीन रवैये पर चिंता व्यक्त की, जो आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली में निष्पक्ष सुनवाई में बाधा डालता है। जस्टिस एनएस शेखावत ने कहा कि यह न्यायालय विभिन्न स्तरों पर आपराधिक मुकदमें के निपटान में चिकित्सा साक्ष्य के महत्व के प्रति सचेत है। शव का विच्छेदन डॉक्टरों व फोरेंसिक विशेषज्ञों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा शवगृह कक्ष में किया जा रहा है। इसके कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर पाए गए निष्कर्षों को सटीक रूप से नहीं दर्शाया जाता।

छात्रों ने पोस्टमार्टम करवाना गलत

न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई मेडिकल कॉलेजों में पोस्टमार्टम छात्रों द्वारा किया जाता है, जो कम अनुभवी होते हैं और वैज्ञानिक तरीकों का पालन किए बिना अवैज्ञानिक तरीके से विच्छेदन किया जाता है। कई बार, फोरेंसिक विशेषज्ञ, वरिष्ठ चिकित्सक भी पोस्टमार्टम करने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होते और पोस्टमार्टम रिपोर्ट नियमित रूप से तैयार की जाती है। इसके अलावा, कुछ मामलों में बाद के चरण में, परीक्षण के दौरान चिकित्सा राय बदल दी जाती है और उचित वीडियोग्राफी या तस्वीरों के अभाव में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सामग्री के संबंध में संदेह पैदा हो जाता है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का नहीं पता चला कारण

याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर वर्तमान मामले में पीड़ित की मौत का कारण घोषित नहीं कर सके। रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए न्यायालय ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि रासायनिक परीक्षक की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद मृत्यु का कारण बताया जाएगा। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से रासायनिक परीक्षक की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद यह उल्लेख किया गया कि मृतक को लगी चोटें न तो गंभीर थी और न ही जीवन के लिए खतरा थी। वर्तमान मामले में मृत्यु का कारण घोषित नहीं किया जा सका।  इससे स्पष्ट है कि पोस्टमार्टम जांच लापरवाही से की गई।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट केस की नींव

अदालत ने कहा कि मेडिको-लीगल रिपोर्ट, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर आधारित डॉक्टर का साक्ष्य आपराधिक मुकदमें की नींव है। जहां किसी व्यक्ति को चोटें आई, आत्महत्याएं हुई, जहर खाने के मामले आदि हैं। उपरोक्त के अलावा हाई कोर्ट ने कहा कि आगे की कार्यवाही करने से पहले, डॉक्टरों, फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा अपनाई जाने वाली पोस्टमॉर्टम परीक्षाओं के संचालन के संबंध में प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिवों को पक्षकार बनाना उचित होगा। उन्हें नोटिस दिया गया।

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