अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ चार्ज बढ़ाने की घोषणा के बाद से एशिया के तमाम देशों ने भी आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा कर दी। ऐसे में इसका असर शेयर मार्केट पर देखने को मिला। एशिया के तमाम शेयर बाजारों में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली। खास बात है कि इस टैरिफ वॉर शुरू करने का आरोप झेल रहे अमेरिका पर भी इसका खासा असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस टैरिफ वॉर में भारत पर कितना असर पड़ेगा।
इस बारे में गुरुग्राम के अर्थशास्त्री शरद कोहली बताते हैं कि दुनियाभर में शेयर बाजारों की स्थिति 1987 के ब्लैक मंडे की याद दिला रही है। उन्होंने कहा कि 1987 में शेयर बाजार बेहद तेजी से गिरे थे। अब एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखी है। उन्होंने कहा कि भारत से लेकर जापान तक, सिंगापुर के स्ट्रैटस टाइम्स से लेकर कोरयाई कॉस्पी तक या फिर जापान के निक्केई और हांगकांग के हैंग सेंग तक, सभी बाजार 4 से 8 फीसद तक नीचे हैं। उन्होंने शेयर मार्केट के क्रैश होने के लिए सीधे सीधे अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है।
एएनआई से बातचीत में कहा कि सभी शेयर मार्केट अमेरिका की शेयर मार्केट के संकेतों से प्रभावित रहते हैं। शुक्रवार को अमेरिकी शेयर मार्केट में 6 फीसद से अधिक की गिरावट थी। ऐसे में निवेशकों और व्यापारियों में दुनियाभर में मंदी होने की आशंका होना लाजमी है, जिसके परिणामस्वरूप नकारात्मक संकेतों का असर एशियाई शेयर मार्केट पर भी पड़ा है।
अमेरिका पर पड़ेगा टैरिफ वॉर का सबसे ज्यादा असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही दावा किया है कि वे कोई भी ऐसा निर्णय नहीं लेना चाहते, जिससे की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो। उन्होंने यह फैसला अमेरिका के हित में सबसे जरूरी कदम बताया है। लेकिन, अर्थशास्त्री शरद कोहली का मानना है कि शेयर मार्केट के क्रैश होने का सबसे ज्यादा असर अमेरिका पर पड़ना तय है। अमेरिका में मुद्रास्फीती या वस्तुओं में कमी देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप केवल कारखाने चाहते हैं, वे अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाने की बात कहते हैं, लेकिन यह रातों रात संभव नहीं हो सकता है।
#WATCH | Gurugram, Haryana: On #marketcrash, economist Sharad Kohli says, "Situation around the world is reminding me of 1987 Black Monday when the stock markets in 1987 had fallen down very sharply. We are seeing the Asian markets as they opened in the morning - from India right… pic.twitter.com/PQAEAaQSry
— ANI (@ANI) April 7, 2025
शेयर मार्केट के क्रैश होने का भारत पर कितना पड़ेगा असर
अब सवाल उठता है कि एशिया भर की तमाम शेयर मार्केट के क्रैश होने से दुनिया पर मंदी के बादल मंडरा रहे हैं, तो इसका असर भारत पर कितना पड़ेगा। इसके जवाब में शरद कोहली ने बताया कि भारत शेयर मार्केट में गिरावट से काफी हद तक अछूता है। भारत घरेलू संचालित अर्थव्यवस्था है। हमारी अर्थव्यवस्था का 60 फीसद हिस्सा उपभोग से बना है।
उन्होंने कहा कि भारत की आबादी 145 करोड़ है, जो अर्थव्यवस्थाएं निर्यात पर अधिक निर्भर हैं। ऐसे में इसका असर भारत पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कीमती रत्न और आभूषण, समुद्री भोजन और ऑटोमोटिव घटकों, अब फार्मास्यूटिकल्स पर भी इसका थोड़ा बहुत असर होगा, लेकिन यकीन है कि भारत के पास एक बाज़ार के रूप में पूरी दुनिया है। ऐसे में भारतीय बाजार बाकी उभरते बाजारों की तुलना में अपेक्षाकृत अछूते हैं।