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हरियाणा में सुर्खियों में रहने वाले वरिष्ठ आईएएस अफसर डॉ. अशोक खेमका चुनाव आयोग के निशाने पर आ चुके हैं। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल ने आईएएस अधिकारी और रोहतक मंडलायुक्त संजीव वर्मा की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए शिकायत को हरियाणा के मुख्य सचिव के पास कार्रवाई के लिए भेज दिया।

Haryana: अक्सर अपने ट्वीट और पत्रों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अफसर डॉ. अशोक खेमका चुनाव आयोग के निशाने पर आ चुके हैं। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल ने आईएएस अधिकारी और रोहतक मंडलायुक्त संजीव वर्मा की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए शिकायत को हरियाणा के मुख्य सचिव के पास कार्रवाई के लिए भेज दिया। सूत्रों का कहना है कि निर्वाचन आयोग की ओर से कार्रवाई के लिए भेजे जाने के बाद सरकार की ओर से मामले में खेमका को कारण बताओ नोटिस देकर उनका पक्ष मांगा जा सकता है, क्योंकि खेमका ने 6 अप्रैल को एक्स हैंडिल पर वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील मामले में अपनी पीड़ा को बयान किया था। उससे पहले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी थी।

लिखित शिकायत में एक्स हैंडिल को बनाया आधार

आाईएएस अधिकारी संजीव वर्मा ने लिखित शिकायत में एक्स हैंडिल को ही आधार बनाया है। इससे पहले भी खेमका ट्वीट कर और एक्स हैंडिल पर बेबाकी से बात रखते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला तूल पकड़ गया। प्रदेश के दो आईएएस अफसरों के बीच खींचतान और विवाद देश के मुख्य चुनाव आय़ुक्त, सीईओ हरियाणा के पास तक पहुंच चुका है। यहां पर बता दें कि आाईएएस अधिकारी संजीव वर्मा ने अशोक खेमका के खिलाफ चुनाव आयोग और मुख्य सचिव को शिकायत भेजी है। जिसमें कहा गया कि खेमका ने वाड्रा लैंड डील को लेकर प्रधानमंत्री मोदी सीधे टारगेट किया गया है। अशोक खेमका सरकारी सेवक होते हुए भी सरकार की ही आलोचना कर रहे हैं। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर हरियाणा के मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।

आचार संहिता के दौरान खेमका की आई पोस्ट

संजीव वर्मा ने शिकायत में उल्लेख किया कि खेमका की यह पोस्ट तब आई, जिस वक्त लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी थी। हरियाणा में 25 मई को वोटिंग होनी है। इसलिए, चुनाव के मद्देनजर सोशल मीडिया पर सरकारी कर्मचारी का ऐसा संदेश घृणित और विवादास्पद है। यह संदेश न केवल मतदाताओं को उत्तेजित करेगा, बल्कि शत्रुता या घृणा की भावनाओं को भी बढ़ावा देगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए लिखा कि 17 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में सभी अफसरों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि हिंसा और घृणा फैलाने वाले भाषण नहीं हों। इसके अतिरिक्त सरकारी सेवक का कोई भी काम सेवा नियमों के विरूद्ध नहीं हो। अशोक खेमका यह कृत्य सार्वजनिक पद का दुरुपयोग होने के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों के आचरण नियमों का भी उल्लंघन है।

6 अप्रैल को एक्स हैंडिल लिखी थी पोस्ट

आईएएस अशोक खेमका ने 6 अप्रैल को सोशल मीडिया के एक्स हैंडिल पर वाड्रा-डीएलएफ जमीन सौदे में कार्रवाई नहीं होने पर दर्द बया किया था। अशोक खेमका ने लिखा था कि वाड्रा-डीएलएफ सौदे की जांच सुस्त क्यों ? 10 साल हुए और कितनी प्रतीक्षा। ढींगरा आयोग की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में। पापियों की मौज। शासक की मंशा कमजोर क्यों? प्रधानमंत्री का देश को वर्ष 2014 में दिया गया वचन एक बार ध्यान तो किया जाए, उनकी पोस्ट पर आईएएस संजीव वर्मा ने भी पलटवार किया था।

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