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हरियाणा के खरखौदा निवासी राजेंद्र सिंह की शिकायत पर राज्य सूचना आयोग ने बीडीपीओ पर सूचना न देने के मामले में 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। पीड़ित ने 2022 में जानकारी लेने के लिए पत्र जमा करवाया था। जानकारी न देने पर आयेाग ने यह कार्रवाई की।

खरखौदा/सोनीपत: सूचना का अधिकार के अंतर्गत मांगी गई सूचना उपलब्ध न कराए जाने पर प्रदेश सूचना आयोग ने तत्कालीन खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी ( बीडीपीओ) पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। उल्लेखनीय है कि ब्लॉक के सेहरी गांव में तीन सार्वजनिक भवन-आंगनबाड़ी केंद्र, महिला तथा दलित चौपाल का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। जिससे उनकी कोई उपयोगिता नहीं है और उनके निर्माण पर खर्च किया गया सरकारी धन किसी काम नहीं आ रहा। इसी को लेकर बीडीपीओ से सूचना मांगी गई थी।

सेवानिवृत राजेंद्र सिंह ने मांगी थी शिकायत

गांव सेहरी निवासी एवं सरकारी सेवा से निवृत्त राजेंद्र सिंह दहिया करदाताओं के पैसे की बबार्दी सहन नहीं कर पाए और एक जागरूक नागरिक होने के नाते 20 अप्रैल 2022 को सूचना का अधिकार के तहत वर्णित भवनों के अधूरेपन की जानकारी मांगी। बार-बार लिख कर देने और खरखौदा के चक्कर लगाए जाने के बावजूद उन्हें वांछित सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई। मजबूर होकर उन्होंने प्रदेश सूचना आयोग में अपील की। आखिरकार 11 जनवरी को प्रदेश सूचना आयुक्त प्रोफेसर डॉ. जगबीर सिंह ने खंड विकास एवं पंचायत को इस मामले में दोषी करार देते हुए 25 हजार रुपए का जुर्माना किया है। साथ ही वांछित सूचना देने का आदेश दिया था।

सूचना न देने पर बीडीपीओ को ठहराया जिम्मेदार

राजेंद्र सिंह दहिया ने बताया कि प्रदेश सूचना आयोग के निर्णय के बावजूद उन्हें मांगी गई सूचना अभी तक मुहैया नहीं कराई गई है। राजेन्द्र सिंह ने इस पर खेद जताते हुए नए सवाल उठाते हुए कहा कि सूचना न देने के मामले में जिस अधिकारी विशेष को जिम्मेदार ठहराया गया है, सेवा के नियमों के अनुसार जुर्माना राशि उनसे व्यक्तिगत रूप से वसूल की जानी चाहिए थी। जबकि उसे सरकारी खजाने से भरा गया है। होना तो यह भी चाहिए कि किए गए जुर्माने का विवरण उनकी सेवा पंजिका में दर्ज किया जाए, ताकि अन्य अधिकारी इससे सबक ले सकें और इस तरह की चूक की पुनरावृत्ति न हो।

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