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हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में सतत विकास के लिए 10 हजार करोड़ की हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना तैयार की जा रही है, जिसे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

Haryana: हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में सतत विकास के लिए 10 हजार करोड़ की हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना तैयार की जा रही है, जिसे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। पहले चरण में यह परियोजना प्रदेश के एनसीआर क्षेत्र में क्रियान्वित की जाएगी और बाद में इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। टीवीएसएन प्रसाद ने हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना की गवर्निंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। मुख्य सचिव ने कहा कि इस दस वर्षीय व्यापक परियोजना को विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। हालांकि, परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नाबार्ड तथा हुडको की सहायता भी ली जाएगी।

वायु प्रदूषण की समस्या के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत

टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने वायु प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि राज्य ने वायु गुणवत्ता मापन और निगरानी के लिए अपने संस्थानों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। राज्य में चार नमूना परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। इसके अलावा, विभिन्न जिलों में 29 सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्र (सी.ए.एक्यू.एम.) और 39 मैनुअल परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी (एम.ए.एक्यू.एम.) केन्द्र चालू हैं। राज्य द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क के विस्तार, कमांड कंट्रोल सेंटर की स्थापना, संसाधन क्षमता तथा नागरिकों की भागीदारी बढ़ाकर अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया जाएगा।

परियोजना के 3 फोकस एरिया

मुख्य सचिव ने बताया कि परियोजना के तीन फोकस एरिया हैं जिनका उद्देश्य व्यापक रूप से वायु प्रदूषण को कम करना है। प्रारंभिक चरण में हरियाणा के वायु गुणवत्ता निगरानी ढांचे में पर्याप्त वृद्धि की जाएगी। इसमें एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला की स्थापना और चार मौजूदा प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण शामिल है। इसके अतिरिक्त, परियोजना कार्यान्वयन की देखरेख के लिए एक समर्पित कार्यक्रम प्रबंधन इकाई की स्थापना भी की जाएगी। वायु प्रदूषण के बहुआयामी स्रोतों की पहचान करके, इस परियोजना के तहत क्षेत्रवार हस्तक्षेपों के माध्यम से इसके संसाधनों का बड़ा हिस्सा परिवहन, उद्योग, निर्माण और सड़क की धूल, बायोमास जलाने और घरेलू प्रदूषण के मुद्दों को हल करने के लिए आवंटित किया जाएगा।

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