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JLRIL Case: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जेएलआरआईएल निदेशक के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है।

JLRIL Case: चंडीगढ़ में कार डिलीवरी मामले को लेकर अधिकारियों द्वारा डीलर के साथ जगुआर लैंड रोवल इंडिया लिमिटेड के निदेशक के खिलाफ केस दर्ज करने का मामला अब अधिकारियों व शिकायतकर्ता के गले की फांस बनता जा रहा है। निदेशक के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। 

उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने शिकायतकर्ता के कहने पर निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। पहली बार में कोर्ट को लगता है कि शिकायतकर्ता व अधिकारियों के खिलाफ जुर्माना लगाने का उचित आधार है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 14 मई को होगी।

कार निर्माता कंपनी जेएलआरआईएल की कार में कमी पाए जाने पर कार लेने वाले व्यक्ति ने इसके लिए कंपनी निदेशक को इंनडेरेक्ट रूप से जिम्मेदार ठहराते हुए शिकायत दी थी। जिसके बाद कंपनी निदेशक राजीव गुप्ता के खिलाफ फरीदाबाद में जनवरी, 2023 में एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसे रद्द करने के लिए कंपनी ने कोर्ट में याचिका दायर की। इस  याचिका में कहा गया कि कार डीलर के द्वारा वितरित की गई है और इससे एजेंट का कोई रोल नहीं है।

निदेशक की नहीं कोई भूमिका

मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आलोक जैन की अदालत ने कहा कि तीन महिने  बाद शिकायत दी गई और वाहन की डिलीवरी में निदेशक की कोई भूमिका नहीं थी। अधिकारियों ने शिकायतकर्ता के इशारे पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर कार्रवाई की गई।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कंपनी की कोई भूमिका नहीं है
और अनावश्यक रूप से उन्हें एक दीवानी विवाद में आपराधिक मुकदमे में घसीटा गया है। जेएलआरआईएल और उसके अधिकृत डीलरों, जिन्होंने शिकायतकर्ता को कार बेची थी। दोने के बीच संबंध प्रिंसिपल-टू-प्रिंसिपल आधार पर है और पार्टियों के बीच निष्पादित डीलरशिप समझौते द्वारा शासित है।

14 मई को होगी अगली सुनवाई  

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया गया कि डीलरशिप समझौता प्रिंसिपल-टू-प्रिंसिपल आधार पर किया जाता है। अधिकृत डीलर से जगुआर और लैंड रोवर वाहन खरीदने वाले अंतिम ग्राहकों का जेएलआरआईएल के साथ कोई संबंध नहीं होता है। 

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डिलीवरी के समय भी शिकायतकर्ता को कोई आपत्ति नहीं थी। कोर्ट ने शिकायतकर्ता को यह बताने के लिए नोटिस जारी किया कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए उस पर  क्यों न बड़ा जुर्माना लगाए जाए। वहीं, अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 मई, 2024 को होगी।

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