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कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर हालांकि सभी मुख्य राजनैतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं परंतु चुनावी दंगल फिलहाल गर्म नहीं हो पाया। क्योंकि हरियाणा प्रदेश में चुनाव छटे दौर में 25 मई को होने है। फिलहाल यहां से चौकोना मुकाबला होने के आसार बने हुए है।

राजपाल जिदंल, गुहला-चीका कैथल: कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर हालांकि सभी मुख्य राजनैतिक पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं परंतु चुनावी दंगल फिलहाल गर्म नहीं हो पाया। क्योंकि हरियाणा प्रदेश में चुनाव छटे दौर में 25 मई को होने है। नतीजन यहां चुनावी माहौल फिलहाल ठंडा चल रहा है। जिन पार्टियों के उम्मीदवारों को टिकट मिल गई है, वे भी या तो इक्का-दुक्का सभाएं कर रहे हैं या फिर पार्टी कार्यालयों में कार्यकर्ताओं से ही विचार-विमर्श करके वापिस लौट रहे हैं।

कुरुक्षेत्र सीट पर चौकोने मुकाबले के आसार

इतना साफ हो गया है कि कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के सांझे उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता, इनेलो के अभय सिंह चौटाला, भाजपा के नवीन जिन्दल व शिरोमणि अकाली दल (मान) के सरदार खजान सिंह के मैदान में आ जाने से यहां चौकोने मुकाबले के आसार बन गए हैं। इसके चलते सभी राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों की स्थिति यह हो गई है कि नेता घुटनों पर आ गए हैं और लोगों द्वारा उनके गले में जो फूल मालाएं डाली जा रही हैं, उन्हें प्रत्याशियों द्वारा वापिस मतदाताओं के गले में डालने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

बुजुर्ग ने नवीन जिंदल को थमाया 20 रुपए का नोट

चुनाव प्रचार के दौरान जब नवीन जिंदल ने एक बुजुर्ग को घुटनों पर बैठकर माला पहनाई तो बुजुर्ग ने अपनी जेब से 20 रुपए का नोट निकालकर नवीन जिन्दल को थमा दिया, जिसे धन्ना सेठ के नाम से मशहूर नवीन जिन्दल अस्वीकार नहीं कर सके। इस डर से कि कहीं उक्त बुजुर्ग नाराज ना हो जाए, नोट लेकर अपनी जेब में डाल लिया। उक्त घटना के साक्षी रहे कुछ लोगों ने कहा कि यह राजनीति है और चुनाव लड़ रहे लोगों से ना जाने कैसे-कैसे पापड़ बिलवा देती है। इसी के चलते धन्ना सेठ नवीन जिन्दल को एक साधारण व्यक्ति से 20 रुपए लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। यही स्थिति अन्य सभी पार्टियों के प्रत्याशियों की भी बनी हुई है, जिसको लेकर लोग खूब चटकारे ले रहे हैं।

यह है कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का राजनैतिक इतिहास

हरियाणा की कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट शुरूआत में कैथल लोकसभा सीट थी। 1977 में यह सीट पहली बार अस्तित्व में आई और 1977 से लेकर 2019 तक यहां 10 चुनाव हुए, जिनमें 3 बार कांग्रेस और 2 बार बीजेपी ने जीत हासिल की। जबकि बाकी चुनावों में अन्य दलों का कब्जा रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नायब सिंह ने कांग्रेस के निर्मल सिंह को लगभग 4 लाख मतों से हराया था। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट के अंतर्गत 9 विधानसभा की सीटें रादौर, लाडवा, शाहबाद, थानेसर, पेहोवा, गुहला, कलायत, कैथल व पूंडरी आती हैं। कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख से अधिक वोटर्स हैं।

क्या है कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट की ताजा स्थिति

कुरुक्षेत्र सीट पर आने वाले सभी 9 हलकों का दौरा करने के उपरांत यह स्थिति सामने आई है कि इस सीट पर चौकोना मुकाबला होने के आसार बन रहे हैं। हालांकि भाजपा के नवीन जिन्दल के न आने से पहले कांग्रेस व आप गठबंधन के डॉ. सुशील कुमार व इनेलो के अभय चौटाला में मुकाबला माना जा रहा था, जिसमें सुशील गुप्ता का पलड़ा भारी नजर आ रहा था। परंतु अब भाजपा की ओर से नवीन जिन्दल व शिरोमणि अकाली दल (मान) के सरदार खजान सिंह के आ जाने से इस सीट के समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। क्योंकि जहां इनेलो प्रत्याशी अभय चौटाला का जाट वोट बैंक पर दबदबा रहने के आसार दिखाई दे रहे हैं, वहीं गठबंधन प्रत्याशी सुशील गुप्ता की बनिया बिरादरी व ब्राह्मण वोट पर गहरी पकड़ मानी जा रही है।

विभिन्न वर्गों की नाराजगी जिंदल पर पड़ सकती है भारी

बनिया बिरादरी के वोट दो जगह बंट जाने से नवीन को नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं किसानों, व्यापारियों, कर्मचारियों, मजदूरों व बेरोजगारों की नाराजगी भी भाजपा प्रत्याशी को भारी पड़ सकती है। यही नहीं, अकाली दल के सिख उम्मीदवार के उतरने से भी अन्य पार्टियों में हलचल मची हुई है। हालांकि दो बार यहां से नवीन जिन्दल के जीतने के कारण उनका इस क्षेत्र में मजबूत वोट बैंक तो माना ही जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा का हिन्दुत्व मुद्दा भी नवीन के पक्ष में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। कुरुक्षेत्र में होने वाले चुनाव छटे दौर में होंगे, जिसमें अभी काफी समय पड़ा है। नतीजतन फिलहाल चौकोना मुकाबला लगने वाली परिस्थितियां कब डगमगा जाएं, यह आने वाला समय ही बताएगा।

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