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हरियाणा में यमुनागनर के इंडस्ट्रियल एरिया निवासी अनिल गिरी पांच साल पहले कुवैत गए थे। फोन पर बातचीत के बाद परिवार को जल्द वतन वापसी का इंतजार था। हादसे ने परिवार के सपने तोड़ दिए और अब कफन में लिपटकर शव ही वतन आएगा।

यमुनानगर। इंडस्ट्रियल एरिया निवासी अनिल गिरी पांच साल पहले रोजी रोटी की तलाश में कुवैत गया था। अनिल एक कंपनी में बेल्डिंग असिस्टेंट के रूप में कार्यरत थे तथा पांच साल में एक बार घर आया था। अब दूसरी बार जल्द वतन वापसी का कार्यक्रम था। हादसे से एक दिन पहले फोन पर परिवार के सभी लोगों से बात हुई थी। जिसके बाद परिवार के लोग अनिल के जल्द वतन वापसी की राह देखने लगे थे। अचानक अनिल की मौत की सूचना ने परिवार का सपना तोड़ दिया। अब परिजन अनिल नहीं, बल्कि कफन में लिपटकर आने वाले उसके शव का इंतजार कर रहे हैं।

घर में बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे

इंडस्ट्रियल एरिया निवासी अनिल ने घटना से एक दिन पहले फोन पर परिवार से बातचीत में कहा था कि वह जल्द घर आएगा। अनिल गिरी के परिवार में बुजुर्ग माता-पिता के अलावा पत्नी के अलावा दो बच्चे हैं। अनिल पिछले पांच साल से कुवैत में काम कर रहा था। जब से अनिल की मौत की सूचना मिली है, तब से पत्नी व परिवार की आंखों के आंसू नहीं सूख रहे। कुवैत में हुए अग्निकांड में जान गंवाने वाले 42 मजदूरों में से एक अनिल गिरी भी था।

चार भाई बहनों में सबसे छोटा था अनिल

अनिल चार भाई बहनों में सबसे छोटा था। स्थानीय गुरु नानक गर्ल्स कॉलेज के कैंटीन में काम करने वाली अनिल की बहन पूजा ने बताया कि अनिल पांच साल पहले काम की तलाश में कुवैत गया था। बीच में एक बार आया था तथा अब जल्द आने का कार्यक्रम था। जिसकी जानकारी अनिल ने खुद फोन पर दी थी। वह वहां बैल्डिंग एसिस्टेंट का काम करता था।

जलने से नहीं, दम घुटने से हुई मौत 

पूजा ने बताया कि कुवैत की दूसरी कंपनी में काम करने वाले अनिल के एक मित्र ने बताया कि अनिल की मौत जलने से नहीं, बल्कि दम घुटने से हुई है। अनिल बीपीएल परिवार से था तथा अनिल की मौत के बाद परिवार के पास जीवन यापन करने के लिए कोई सहारा नहीं है। उन्होंने सरकार से अनिल की पत्नी व बच्चों की देखभाल का जिम्मा लेने की मांग की है, ताकि उनका जीवन यापन चलता रहे।

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