Ambala Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने दूसरी लिस्ट जारी की है। हरियाणा की अंबाला सीट पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है। इस सीट से भाजपा ने पार्टी के दिग्गज नेता रहे रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को टिकट दिया है। रतन लाल कटारिया की पिछले साल 18 मई 2023 को मौत हो गई थी। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या बीजेपी अंबाला की सीट जीतकर हैट्रिक लगा पाएगी या नहीं, हालांकि, यह तो चुनाव के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा की कौन जीता और कौन हार रहा। इस आर्टिकल में यह जानेंगे की भारतीय जनता पार्टी के स्थापना के बाद से इस अब तक का इस सीट का इतिहास क्या रहा है।
बीजेपी के गठन के बाद लगातार 3 बार मिली थी हार
बीजेपी 6 अप्रैल 1980 में बनी थी। इसके बाद पार्टी ने चुनाव लड़ा। लेकिन पार्टी ने 1984, 1989 और 1991 में प्रदेश की एक भी लोकसभा सीट पर नहीं जीत दर्ज कर पाई। इसके बाद 1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की चार सीट को जीतने में कामयाब रही। जिसमें फरीदाबाद से रामचंद्र, करनाल से ईश्वर दयाल स्वामी और महेंद्रगढ़ से राम सिंह और अंबाला से सूरजभान बीजेपी के टिकट पर सांसद बने। इसके बाद 1999 में हुए लोकसभा में अंबाला सीट पर रतनलाल कटारिया बीजेपी से सांसद बने।
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2014 से अंबाला सीट पर काबिज है बीजेपी
2004 में लोकसभा चुनाव में रतन लाल कटारिया को अंबाला सीट से कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने शिकस्त दी और वह लगातार दो बार सांसद रहीं यानी की 2014 तक सांसद रहीं। इसके बाद 2014 में मोदी लहर में कुमारी सैलजा को मात देते हुए रतन लाल कटारिया दोबारा सांसद बने। फिर 2019 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने तीसरी बार सांसद बने लेकिन पूरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए, उनकी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मौत हो गई थी। हालांकि, इस बार बार भारतीय जनता पार्टी ने उनकी पत्नी पर विश्वास जताया है और बंतो कटारिया को उम्मीदवार बनाया है।