Yamunanagar News: हरियाणा के यमुनानगर से आने वाले सफेदा और पापुलर की खरीद फरोख्त के लिए मार्केटिंग बोर्ड की अब अपनी मंडी होगी। 37 एकड़ में मार्केटिंग बोर्ड की मंडी के लिए गांव दुसानी में जमीन एक्वायर किए जाने का प्लान बनाया गया है। हालांकि, यह मंडी 11 एकड़ में फिलहाल लीज पर चल रह है, जहां 90 हजार रुपये प्रति एकड़ लीज राशि है। इस जिल में 626 आढ़ती है। इससे कारोबार में और बढ़ोतरी होगी।
साथ ही सरकार को जाने वाला राजस्व बढ़ेगा। अब तक गांव मंडोली में लक्कड़ मंडी चल रही है जो लगभग 11 एकड़ में है। साल 2016-17 में यहां मंडी शुरू हुई थी। वहीं, अब मार्केटिंग बोर्ड की अपनी मंडी बनने के बाद आढ़तियों और विभाग को बड़ा फायदा होगा।
कारोबारियों को होगा फायदा
वर्तमान समय में मार्केटिंग बोर्ड द्वारा गांव मंडोली में लीज पर जमीन लेकर 11 एकड़ में लक्कड़ मंडी बनी हुई है। प्रति एकड़ के हिसाब से 90 हजार रुपये लीज राशि है। जिसके लिए सालाना लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जाता है। अपनी जमीन होने के बाद यह राशि बचेगी। दूसरा, इन दिनों खुले में मंडी चल रही है और लगभग 400 बूथ हैं। प्रति बूथ 1250 रुपये प्रतिमाह लिए जाते हैं, लेकिन फीर भी यहां सुविधाओं की कमी है। अपनी जमीन होने पर मार्केटिंग बोर्ड द्वारा पक्की दुकानें बनाए जाने की योजना है। साथ ही मंडी आढ़तियों और किसानों को अन्य मूलभूत सुविधाएं भी मिल सकेंगी।
सड़क पर आवागमन होता है बाधित
सड़क पर लकड़ी की खरीद फरोख्त की शिकायतें भी अकसर आती हैं। मार्केट कमेटी के अधिकारी समय-समय पर चेकिंग भी करते हैं, लेकिन इस तरह की गतिविधियों पर रोक नहीं लग पा रहा है। सड़कों पर लकड़ी की खरीद-फरोख्त से मार्केट कमेटी को फीस चपत लग रही है। साथ ही सड़क पर लकड़ी से लदी ट्रालियां खड़ी होने के कारण आम जनता का आवागमन भी बाधित होता है और लोग इससे काफी समय से परेशान हैं।
कई सालों से चल रहा है यह कारोबार
साल 1980 में जिले में प्लाई बोर्ड का कारोबार शुरू हुआ था। वर्तमान समय में बोर्ड की प्रेस, चीपर, पुलिंग और आरा मशीन के 1970 लाइसेंस हैं। जगाधरी और यमुनानगर में 625 लक्कड़ के आढ़ती हैं। इनमें से लगभग 400 लाइसेंस यमुनानगर के हैं। ये आढ़ती मंडोली लक्कड़ मंडी में ही खरीद फरोख्त करते हैं। दो लाख से ज्यादा लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। सफेदा और पापुलर की बात की जाए तो राज्य के कई जिलों सहित उत्तर प्रदेश, पंजाब और अन्य प्रदेशों से लकड़ी मंडी में पहुंचता है।