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हरियाणा के नूंह में राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज में इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक महिला की मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। साथ ही अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।

Nuh: अरावली पर्वत की वादियों में लगभग 94 एकड़ भूमि में करीब 500 करोड़ रुपए की लागत से बनाया राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ इलाज के नाम पर सफेद हाथी साबित हो रहा है। वैसे तो इस मेडिकल कॉलेज में इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही का मामला एक बार नहीं बल्कि कई बार सामने आ चुका है, लेकिन वीरवार को इलाज में देरी की वजह से पुनहाना खंड के इंदाना गांव की एक महिला रसीदन की जान चली गई। इंदाना गांव से रसीदान को बीमारी के चलते बेहतर उपचार के लिए लाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे तत्काल भर्ती करने के बजाय इधर - उधर घुमाया। ऐसे में परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

बीमार मरीज का कई घंटे तक शुरू नहीं किया उपचार

पीड़ित के परिजनों ने बताया कि सुबह 10 बजे वह महिला मरीज को नल्हड़ मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे थे, लेकिन कई घंटे के बाद भी उसका उपचार शुरू नहीं किया गया। जिस समय महिला की जान जा रही थी, उस समय स्वास्थ्य कर्मचारी इलाज करने के बजाय तमाशबीन बनकर सारे नजारे को देखते रहे। महिला के परिजनों ने महिला की मौत के बाद हंगामा किया, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। आखिरकार कुछ देर बाद महिला के परिजन उसे अपने गांव इंदाना लेकर पहुंचे। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की जिस प्रकार की लापरवाही है, उसके खिलाफ शिकायत की जाएगी ताकि फिर उपचार की वजह से किसी की जान ना जाए। कुल मिलाकर पीड़ित परिजनों का आरोप है कि अगर समय रहते महिला का उपचार शुरू हो जाता तो शायद आज वह अपने परिवार के बीच में जीवित होती।

महिला की मौत पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने साधी चुप्पी

नल्हड़ मेडिकल कॉलेज जब महिला की मौत के बाद परिजन विलाप कर रहे थे तो वहां पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गई। कुछ अन्य लोगों ने भी कहा कि इस अस्पताल में इलाज के नाम पर कुछ नहीं है। इतनी आलीशान बिल्डिंग होने के बावजूद भी यहां डॉक्टर, दवाइयों की कमी के साथ - साथ इलाज व स्टाफ द्वारा लापरवाही भी बढ़ती जा रही है। जिससे आए दिन किसी ना किसी मरीज की जान जा रही है, लेकिन कोई भी कहने - सुनने वाला नहीं है। इसकी वजह से लगातार मेडिकल कॉलेज प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है। जब इस बारे में मेडिकल कॉलेज प्रशासन से बात करने की कोशिश की तो वह पूरी तरह से चुप्पी साध गए।

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