Devi Temples in Haryana: पितृपक्ष के समाप्त होते ही देशभर में 3 अक्टूबर, 2024 को नवरात्रि का त्योहार शुरू हो जाएगा कुछ लोगों ने अभी से ही इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है। कई लोग अभी से ही कटरा के वैष्णो माता के दर्शन का प्लान बना रहे होंगे, तो कहीं अभी से ही मेले की तैयारियां शुरू हो चुकी है। ऐसे में अगर आप हरियाणा में रहते हैं तो आपका भी मन कटरा जाने का होगा जो हरियाणा से कुछ ही दूरी पर स्थित है, लेकिन कई बार छुट्टी न मिलने के कारण लोग वहां नहीं जा पाते हैं।
ऐसी स्थिती आप हरियाणा में स्थित माता के मंदिरों में जाकर साक्षात माता के दर्शन कर सकते हैं। यहां की मान्यता है कि माता नवरात्रि दिनों में रूप बदल कर अपने भक्तों को दर्शन देती है। आप भी अगर माता का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो अभी से ही यहां जाने का प्लान शुरू कर दें।
भोजा देवी मंदिर
भिवानी में स्थित भोजा देवी का प्राचीन मंदिर बड़ा ही विशाल और सुंदर मंदिर हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां माता की मूर्ति का नाक बिधा हुआ है और माता का चेहरा प्रसन्न मुद्रा का है। माना जाता है कि यहां नौ दिनों तक माता का स्वरुप बदलता रहता है। माना जा उनका स्वरूप ही नहीं बल्कि माता की मूर्ति से पसीना भी निकलता है। नवरात्रि के आखिरी दिन विदाई के समय माता की आंखों से आंसू भी निकलते हैं, जो केवल माता के भक्तों को ही दिखाई देते हैं।
इसके पीछे की कहानी है यह है कि लगभग सात सौ वर्ष पूर्व रेहड़ी पर माता की मूर्ति लेकर कुछ लोग भिवानी के रास्ते जा रहे थे। मूर्ति लेकर जाने वाले लोगों को विश्राम करने का मन हुआ तो उन्होंने यहां पेड़ के नीचे विश्राम किया और माता की मूर्ति भी वहीं रख दी। थोड़ी देर के बाद जब मूर्ति को वहां से ले जाने का प्रयास किया तो माता की मूर्ति वहीं स्थापित हो चुकी थी। बताया जाता है कि आकाशवाणी हुई और कहा कि माता का मंदिर यहीं पर ही स्थापित किया जाए, तब से यह यही पर स्थित है।
पानीपत में स्थित देवी मंदिर
पानीपत में स्थित माता का एक ऐसा मंदिर है, जहां मंदिर के बाहर आपको हर दिन मेला जैसा अनुभव होगा। इस मंदिर का इतिहास 250 वर्षों से भी अधिक पुराना माना जाता है। नवरात्रि में तो यहां हर दिन लोगों की भारी भीड़ दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही यहां पर रंग-बिरंगी सुंदर चीजों से सजी दुकानें इस मंदिर की तरफ लोगों को आकर्षित करती है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब मंदिर का निर्माण किया जा रहा था, तो रात में देवी की मूर्ति को एक जगह पर संभाल कर रखा गया था। लेकिन सुबह होते ही वह मूर्ति गायब हो गई, मूर्ति फिर से उसी जगह पर मिली जहां से उसे उठाया गया था। इसके बाद लोगों ने मंदिर उसी जगह पर बनाया गया जहां देवी की मूर्ति मिली थी। यहां लोगों की मान्यता है की नवरात्रि दिनों ने माता स्वयं आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
श्रीदेवी कूप भद्रकाली मंदिर
कुरुक्षेत्र स्थित 51 शक्तिपीठ में से है एक श्रीदेवी कूप भद्रकाली मंदिर में आप नवरात्रि के माता के दौरान दर्शन के लिए जा सकते हैं। यह मंदिर भद्रकाली मंदिर मां देवी काली को समर्पित है। माना जाता है कि इस मंदिर में मां सती के दायें पैर का टखना गिरा था। यहां पर लोग दूर-दूर से माता के दर्शन करने के लिए आते है। मंदिर में प्रवेश करते ही एक बड़ा कमल का फूल बनाया गया है, जिसमें मां सती के दायें पैर का टखना स्थापित है, जिसे सफेद संगमरमर से बनाया गया है।
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पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किए यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिए थे। उस समय भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड चक्कर लगा रहे थे। उनकी यह अवस्था देखकर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था। इसमें से सती का दायां टखना इस स्थान पर जा गिरा था। माना जाता है कि सती का दायां टखना इस मंदिर में बने कुएं में गिरा था, इसलिए इसे मंदिर को श्री देवीकूप मंदिर भी कहा जाता है।