योगेंद्र शर्मा, हरियाणा: आखिरकार हरियाणा मंत्रीमंडल के मंत्रियों के नामों और विभाग की तख्तियां (नेमप्लेट) सोमवार को लगा दी हैं। जल्द ही मंत्रियों के पास लगाए जाने वाले स्टाफ को लेकर भी अंतिम फैसला हो जाएगा। इस पर सीएम आफिस के आला-अफसर विचार मंथन में जुटे हुए हैं, साथ ही मंत्रियों से भी इस बारे में अपनी पसंद के चुनिंदा नाम देने को कहा गया है। नवगठित मंत्रीसमूह को शपथ लिए हुए चार सप्ताह का वक्त बीत गया है। नए मंत्रियों को कमरे तो अलाट कर दिए गए थे, लेकिन नामों की तख्तियां नहीं लगी थी। इसके अलावा अंतिम तौर पर अभी भी मंत्रियों के पास कौन-कौन चेहरे स्थाई तौर पर रहेंगे, पूरी तरह से साफ नहीं हो सका है।
मंत्रियों के विभाग में जल्द नियुक्त होगा स्टाफ
सोमवार को सुबह ही सभी मंत्रियों के कमरों के बाहर नाम और विभागों सहित तख्तियां लगा दी गई हैं। अब उनके पास पीए (निजी सहायक) व पीएस (निजी सचिव) के अलावा सेवादारों, निजी सहायक, कंप्यूटर आपरेटरों सभी की नियुक्ति भी जल्द ही कर दी जाएगी। वैसे, सभी मंत्रियों के आफिस में अस्थाई तौर पर स्टाफ तो बैठा दिया गया है। लेकिन आधिकारिक तौर पर इनके पत्र अभी तक जारी नहीं हुए हैं, जिसके कारण स्टाफ धर्मसंकट की स्थिति में है। साथ ही कामकाज पर भी प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है। मुख्य सचिव इस बारे में अधिकारियों के साथ चिंतन मंथन के बाद मंत्रियों से कई-कई नामों के नोट नहीं बल्कि सही नाम देने की अपील करेंगे।
मुख्य सचिव से की कई मंत्रियों ने बातचीत
सूत्र बताते हैं कि स्टाफ और अन्य कई विषयों को लेकर मंत्रियों ने मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद और सीपीएस सीएम से बातचीत की है। जिसमें सरकारी आवास, वाहनों अन्य विषयों को लेकर भी अपने हिसाब से चर्चा की जा रही है। चुनावी तैयारी में जुटे अफसरों पर भी तमाम तरह के कामकाज के कारण अफसरों के सामने भी धर्मसंकट के हालात बने हुए हैं। यहां पर बता दें कि पहले चरण में शपथ लेने वाले और उसके एक सप्ताह बाद में पहला मंत्रीमंडल विस्तार हुआ था। पहली बार सीएम के अलावा पांच मंत्रियों ने शपथ ली थी। दूसरे चरण में यह कुनबा बढ़ गया था। मंत्रियों अभय सिंह यादव और कंवरपाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा को छोड़ दें तो अभी तक बाकी के पास स्टाफ की स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं हो सकी है।
स्टाफ में लगने के लिए लंबी लाइन
मंत्रियों के स्टाफ में लगने के लिए भी लंबी लाइन होने के कारण अफसरशाही भी धर्म संकट में पड़ी हुई है। दरअसल रसूख और संबंधों के बल पर सचिवालय के स्टाफ द्वारा मंत्रियों से अपने अपने नामों के नोट बनवाए और कार्मिक विभाग के पास में भेज दिए गए। कई कई मंत्रियों के पास से तो आठ से दस नाम तक भी भेज दिए हैं। पीएस (निजी सचिव) के अलावा निजी सहायक, डाटा एंट्री आपरेटर, अधीक्षक, सेवादारों सहित कई कई नाम भेजे हैं।