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हरियाणा के नूंह जिला परिषद चेयरमैन जान मोहम्मद को वार्ड 19 से जिला पार्षद पद से अयोग्य घोषित किया गया। हरियाणा ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक ने हाईकोर्ट के आदेश पर संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की।

Nuh: नूंह के जिला परिषद चेयरमैन जान मोहम्मद को वार्ड 19 से जिला पार्षद पद से अयोग्य घोषित किया गया। हरियाणा ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक ने हाईकोर्ट के आदेश पर संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की। जिला पार्षद जान मोहम्मद द्वारा पंचायती भूमि पर अवैध कब्जे की वजह से यह एक्शन लिया गया है। वहीं जिला पार्षद पद से अयोग्य करार देने पर जान मोहम्मद अब जिला परिषद चेयरमैन भी नहीं रह पाएंगे। विभाग की इस कड़ी कार्रवाई से जिले के राजनीतिक गरमा गई है।

वार्ड 19 से चुनाव जीतकर पार्षद बने थे जान मोहम्मद

बता दें कि पुन्हाना उपमंडल के गांव अकबरपुर के रहने वाले जान मोहम्मद जिला पार्षद के वार्ड 19 से चुनाव जीतकर जिला पार्षद बनने के साथ ही जिला पार्षदों के समर्थन व भाजपा के सहयोग से चेयरमैन बने। जिला पार्षद बनने के साथ ही उन पर पंचायत भूमि पर अवैध कब्जा करने के आरोप लग रहे हैं। इसी को लेकर जिला पार्षद के वार्ड 4 से पार्षद यहूदा मोहम्मद ने हाईकोर्ट में याचिका डालकर जान मोहम्मद पर कार्रवाई की मांग की। हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए करीब आठ माह पहले ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के निदेशक को कार्रवाई करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद हाईकोर्ट में मामले की अगली 10 अप्रैल थी।

सुनवाई से पहले ही निदेशक ने दिए आदेश

हाईकोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले ही निदेशक जय किशन अभीर ने संज्ञान लेते हुए जान मोहम्मद को जिला पार्षद के पद से अयोग्य करार दे दिया। जिला पार्षद की सदस्यता रद होने के साथ ही अब जान मोहम्मद को जिला प्रमुख के पद से भी हाथ धोना पड़ेगा। याचिकाकर्ता ने बताया कि जान मोहम्मद ने पंचायत की करीब 4 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ है। जिसको 2004 में एसडीएम कोर्ट फिरोजपुर झिरका ने जान मोहम्मद को पंचायत भूमि पर बनाए गए अवैध मकान से बेदखल कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कब्जा नहीं छोड़ा। जिसको आधार मानते हुए यह कार्रवाई की गई है।

जान मोहम्मद ने कहा- हाईकोर्ट में झूठे तथ्य पेश किए

जान मोहम्मद ने कहा कि माननीय निचली अदालतों में उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया था, लेकिन हाई कोर्ट में झूठे तथ्य पेश किए गए हैं और उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है। वह इसके खिलाफ जाएंगे और कोर्ट को सच्चाई बताएंगे। उन्हें पूरा भरोसा है और वह जल्द ही इस मामले में बहाल होंगे।

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