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पूरा हरियाणा हीटवेव की चपेट में है, पारा 50 डिग्री को क्रॉस जा चुका है। पूर्व सीएम के पैतृक गांव के ग्रामीण डीसी से मिलने को 48 डिग्री तापमान में सुबह 11 से रात 7 बजे तक इधर उधर भटकते रहे। 9 घंटे बाद डीसी से मुलाकात तो हुई, समाधान नहीं।

रोहतक। हरियाणा में अफरशाही बेलगाम होने के आरोप यूं ही नहीं लगते। वीरवार को रोहतक में एक बार उस समय फिर इसका नजरा देखने को मिला, जब चकबंदी की शिकायत लेकर रोहतक डीसी से मिलने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पैतृक निदाना (हाल बनियानी) के ग्रामीण महिलाओं के साथ 48 डिग्री तापमान में सुबह 11 से रात सात बजे तक इधर- उधर भटकते रहे। इस अवधि के दौरान डीसी की तरफ से एक बार सीटीएम व दो बाद महम के एसडीएम को भेजा गया, परंतु ग्रामीण डीसी से मिलने की जिद्द पर अड़े रहे। करीब 9 घंटे के इंतजार के बाद डीसी मिले तो जरूरत,परंतु सुनने के लिए पांच जून की दोपहर तीन बजे का समय निर्धारित कर वापस भेज दिया।

अफसरों के लिए समय निर्धारित

मनोहर लाल के कार्यकाल में 2014 से मार्च 2019 में मुख्यमंत्री फेस बदलने तक प्रदेश में अफसरशाही के हावी होने के आरोप लगते रहे हैं। सरकार के विधायक व मंत्रियों तक ने न केवल यह मामला उठाया, बल्कि विधानसभा अध्यक्ष तक भी पहुंचा था। जिसे देखते हुए सरकार ने डीसी व एसपी सहित सभी अफसरों को अपने कार्यालयों में जनसुनवाई का समय तय कर दिया। जिसका जमीन पर असर बहुत कम दिखाई दिया। सीएम फेस बदलने के बाद यह प्रथा लगभग बंद हो गई और आंचार संहिता लगने के बाद तो अफसरशाही अपनी मस्ती में ही नजर आई। ऐसे में वीरवार को रोहतक की घटना ने एक बार फिर अफसरशाही के मनमानी को उगाजर कर दिया।

यह था मामला

गांव निदाना के लोग ट्रैक्टर ट्रॉलियों में सवार होकर सुबह करीब 11 बजे रोहतक पहुंचे, ताकि गांव में हुई चकबंदी की सच्चाई से डीसी को अवगत करवाया जा सके। डीसी से मिलने की चाह में ग्रामीण चिलचिलाती धूप में दिनभर शहर की शहर की सड़कों पर इधर उधर भटकते रहे, परंतु 9 घंटे तक डीसी उनसे मिलने का समय नहीं निकाल पाए। हालांकि डीसी ने इस बीच ग्रामीणों से मिलने के लिए एक बार सीटीएम तो दो बार महम के एसडीएम को भेजा, परंतु ग्रामीण डीसी से मिलने की जिद्द पर अड़े रहे। करीब 9 घंटे के इंतजार के बाद रात करीब सात बजे डीसी ग्रामीणों के बीच पहुंचे और चार जून को होने वाली लोकसभा के वोटों की गिनती की व्यवस्ता का हवाला देकर ग्रामीणों को अपनी समसया को लेकर पांच जून को दोपहर मीटिंग करने की बात कहकर वापस भेज दिया। जिसके बाद ग्रामीण रात करीब आठ बजे रोहतक से गांव के लिए रवाना हुए।

ग्रामीणों ने किया था विरोध

गत बुधवार को निंदाना गांव में लाखन माजरा और महम के नायब तहसीलदार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था। पुलिस बल के साथ राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारी निंदाना गांव में चकबंदी के बाद हुए जमीन के बंटवारे का कब्जा देने के लिए गांव में गए थे। लेकिन ग्रामीणों के काफी विरोध के बाद वहां कब्जा कार्रवाई नहीं हो पाई। जिससे ग्रामीणों में रोष है।

चेन बनाकर पुलिस के सामने खड़ी हो गई थी महिलाएं

गत बुधवार को कार्रवाई के लिए जब अधिकारी पुलिस बल के साथ पहुंचे तो गांव की महिलाएं चेन बनाकर पुलिस के सामने खेतों में खड़ी हो गई थी। इस दौरा गांव के एक पूर्व सरपंच के साथ हाथापाई तक हो गई थी। गांव में काफी तनाव को देखते हुए चकबंदी की कब्जा कार्रवाई करने गई टीम वापस लौट आई थी। जिस तरह डीसी ने ग्रामीणों को पांच जून की मीटिंग का समय दिया है, उससे लगता है कि एक बार तो पांच जून तक कब्जा कार्रवाई का कार्य रुक गया है।

प्रभावशाली लोगों पर गड़बड़ी करवाने का आरोप

निंदाना गांव में चकबंदी विभाग द्वारा पांच साल पहले भूमि की चकबंदी की गई थी। जिसके लिए ग्रामीणों की एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी व चकबंदी विभाग ने मिलकर चकबंदी के नियम बनाए थे। विभाग द्वारा चकबंदी का कार्य सम्पन्न किए जाने के बाद ग्रामीणों ने चकबंदी पर सवाल उठाते हुए कमेटी द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए। बड़े पैमाने पर चकबंदी के कार्य में भ्रष्टाचार हुआ है। प्रभावशाली व पैसे वाले लोगों को बेशकीमती जमीन अलॉट कर दी गई। जबकि जिनकी पहुंच नहीं थी, उनको खराब भूमि दे दी गई। जमीन का बंटवारा भी सही नहीं किया गया। जिसकी शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल तक की गई, परंतु सुनवाई नहीं हुई।

2022 से दिया जा रहा है धरना

गांव के आम आदमी की बात भी जब तत्कालीन सीएम तक पहुंची तो उन्होंने गांव के बीच में शिकायत पेटी रखवा दी। जिसमें ग्रामीणों ने अपनी अपनी लिखित शिकायत इसमें डाली। उसके बाद उनमें से कुछ समस्याओं का समाधान भी किया गया। मगर फिर भी कई भू मालिकों की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रही। ऐसे में नाराज ग्रामीणों ने 15 जनवरी 2022 को गांव में धरना शुरू कर दिया था। तब से लेकर ढाई साल से गांव में चकबंदी की खामियां दूर करवाने की मांग को लेकर यह धरना चल रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि पहले उनकी समस्याएं सुनकर उनका निपटारा किया जाए, उसके बाद कब्जा कार्रवाई करे। धरने को उठाने के लिए कई बार सरकार व प्रशासन के लोग प्रयास कर चुके हैं। लेकिन अब तक यह धरना तब से लेकर अब तक जारी है

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