हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने आज हिसार में नवसंकल्प रैली में 5000 की पेंशन के मुद्दे को भुनाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने रोहतक लोकसभा सीट ऑफर की थी, लेकिन हमने कहा था कि अगर 5000 की पेंशन कर दी जाए तो हमें एक भी सीट नहीं चाहिए। अब सोचने वाली बात यह है कि यह मुद्दा ऐसा क्या है, जिसके चलते बीजेपी ने जजपा के साथ गठबंधन तोड़ने में जरा भी देरी नहीं की। आइये जानते हैं कि हरियाणा में पेंशन का मुद्दा इतना अहम क्यों बनाया जा रहा है।
इसी वायदे के बलबूते जीता पिछला चुनाव
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जजपा और बीजेपी ने पिछला विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने पर विचार किया था, लेकिन 5000 रुपये पेंशन के मुद्दे पर दोनों दल की राहें अलग हो गई थीं। पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही जजपा को दस सीटें मिलीं। इन सीटों को दिलाने में 5000 की पेंशन राशि का वादा भी मददगार साबित हुआ। जजपा को वोट देने मतदाताओं को जरा भी अंदेशा नहीं था कि बीजेपी से गठबंधन हो सकता है। बावजूद इसके जजपा ने बीजेपी से गठबंधन करके सत्ता हासिल कर ली। यही नहीं, दुष्यंत चौटाला को भी डिप्टी सीएम बना दिया गया। बावजूद इसके यह वादा पूरा नहीं हो सका। पिछली बार बुजुर्ग पेंशन में 250 रुपये का इजाफा कर दिया गया था, जिसके बाद कुल पेंशन 3000 रुपये हो गई है। इससे पहले 1 अप्रैल 2023 से 2750 रुपये की पेंशन मिल रही थी। अब भाजपा और जजपा का गठबंधन टूट चुका है, लिहाजा दुष्यंत ने इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरा है।
बीजेपी ने पूरा किया अपना वादा
भारतीय जनता पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 3000 की पेंशन देने का ऐलान किया था। अब यह वादा पूरा हो चुका है। इसके अलावा बीजेपी सरकार ने न्यूनतम आय सीमा को भी बढ़ा दिया गया था। पहले 2 लाख से अधिक की आय पर पेंशन नहीं मिलती थी, लेकिन बाद में इस सीमा को 3 लाख तक बढ़ा दिया गया था।
पेंशन के मुद्दे पर जजपा से आगे बढ़ी इनेलो-कांग्रेस
कांग्रेस और इनेलो भी आने वाले विधानसभा चुनावों में पेंशन राशि को भुनाने में जुटी है। कांग्रेस ने हरियाणा में छह हजार रुपये की पेंशन राशि देने का ऐलान किया था, वहीं इनेलो ने कहा था कि हमारी सरकार बनने के बाद 7500 रुपये की पेंशन राशि दी जाएगी। उधर, बीजेपी आने वाले विधानसभा चुनाव में पेंशन को लेकर क्या वादा करेगी, इसके लिए घोषणा पत्र का इंतजार करना होगा।