चंडीगढ़। बेशकिमती जमीनों पर अक्सर भू-माफियाओं की नजर रहती है। एक आईएएस दंपत्ति व पृथ्वीराज छाबड़ा सहित कई लोगों पर पंचकूला में सरप्लस (सरकारी) जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवाकर बेचने का मामला सामने आया है। जिसका खुलासा होने के बाद सरकार ने सरप्लस जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है। आईएएस दंपत्ति ने दशकों पूर्व जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवाई थी। जमीन सरप्लस नहीं होने के कारण इंतकाल नहीं हो रहा था। मंडल आयुक्त कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर इंतकाल करने के आदेश दिए। जिसके बाद जमीन का इंतकाल होते ही आईएएस दंपत्ति ने जमीन का सौदा कर लिया। जब रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज तहसीलदार के सामने आए तो शक होने पर तत्काल रजिस्ट्री से इंकार करते हुए मामले को उपायुक्त के सामने रखा। उपायुक्त ने पत्र लिखकर एफसीआर से दिशा निर्देश मांगे तो एफसीआर ने जमीन की रजिस्ट्री रोकने के निर्देश जारी कर दिए।
सवालों के घेरे में आयुक्त कोर्ट का फैसला
एफसीआर ने 29 मार्च को पत्र जारी कर जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए। मंडल आयुक्त कोर्ट द्वारा दशकों से अटके सरकारी जमीन के इंतकाल का फैसला व्यक्ति विशेष के हक में देने के फैसलें पर भी सवाल उठने लगे हैं। दबी जुबान से अफसरों ने मंडल आयुक्त कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका मानना है, कि जब जमीन सरप्लस यानी सरकारी खाते में है, तो उस जमीन का मालिक निजी व्यक्ति कैसे हो सकता है। कुल मिलाकर रसूखदार लोगों के इरादों पर पानी फिर गया है फिलहाल सरकार ने इसकी रजिस्ट्री करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। सरप्लस जमीन की रजिस्ट्री होने के पीछे किन किन लोगों का हाथ था तथा सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा, परंतु इस खुलासे ने भूमाफियांओं से मिलीभगत को उजागर कर दिया।
यह था मामला
बेशकिमती सरप्लस जमीन को लेकर जमीन की खरीद से गोलमाल की शुरूआत हुई। पृथ्वीराज छाबड़ा सहित कई लोगों ने सरप्लस जमीन को खरीदा। जिसमें पूर्व आईएएस अधिकारी शशि गुलाटी और सुनील भी शामिल थे। आईएएस दंपत्ति ने दशकों पूर्व जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली थी, परंतु इंतकाल अटका हुआ था। गत वर्ष पृथ्वीराज व अन्य की अपील पर अंबाला मंडल आयुक्त कोर्ट ने जमीन का इंतकाल करने के आदेश दिए थे। इंतकाल दर्ज होते ही फिर से जमीन की खरीद फरोख्त का खेल शुरू हो गया। पंचकूला के सेक्टर-6 निवासी सतबीर सिंह से सौदा हो गया। जब रजिस्ट्री के लिए मामला पंचकूला के तहसीलदार व नायब तहसीलदार के सामने पहुंचा तो उन्होंने न केवल रजिस्ट्री करने से इंकार किया, बल्कि सुशील सारवान को मामले से अवगत करवाया। जिसके बाद मामला नोटिस में आते ही एफसीआर ने 29 मार्च को एक पत्र जारी कर जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी।