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हरियाणा की भिवानी महेंद्रगढ़ सीट प्रदेश की सत्ता के केंद्र में रहे बंशीलाल, भजनलाल व देवीलाल परिवार के लिए मुफीद रही है। बंशीलाल परिवार से बंसीलाल, सुरेंद्र सिंह, श्रुति चौधरी, भजनलाल परिवार से कुलदीप बिश्नोई व देवीलाल परिवार से अजय सिंह चौटाला ने राजनीति में दिल्ली का सफर भिवानी होते हुए ही तय किया है।

 पुरुषोत्तम तंवर,भिवानी। अपने समय के राजनीति के पीएचडी रहे पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. देवीलाल, पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल और पूर्व सीएम स्व. चौ. भजनलाल ने लाडलों को देश की राजनीति में भिवानी के रास्ते दिल्ली दरबार तक भेजा था। जिस भी बड़े नेता ने अपने लाडले को राजनीति में लाने की चाह पाली,उस नेता ने भिवानी लोकसभा से चुनावी दंगल में जरूर उतारा। यह सौ फिसदी सत्य है तीनों लालों ने अपने-अपने लाडलों को भिवानी चुनावी दंगल में उतारा तो वे राष्ट्रीय स्तर पर नेता बने। चाहे पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल, स्व. सुरेंद्र सिंह, पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला या पूर्व सांसद कुलदीप सिंह बिश्नोई हो। भिवानी की धरती से जो नेता बना। उसका आज भी देश में नाम है। राजनीतिक पंडितों की बात पर यकीन करें तो पूर्व सीएम स्व. भजनलाल ने अपने लाडले कुलदीप बिश्नोई को भिवानी से चुनाव लड़वाया। कुलदीप बिश्नोई ने 2004 में पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला व सांसद धर्मबीर सिंह को हराकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचे थे। इनसे पूर्व वर्ष 1997 में पूर्व सांसद सुरेंद्र सिंह ने अजय चौटाला और 1998 में अजय चौटाला ने सांसद धर्मबीर व पूर्व सांसद सुरेंद्र सिंह को हराकर लोकसभा में पहुंचकर प्रतिनिधितत्व किया। इससे पहले के इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल भी भिवानी की धरती से जीतकर तीन बार दिल्ली दरबार में पहुंचे। बताते है कि जिस भी प्रदेश के बड़े नेता ने अपने लाडले को राजनीति में उतारना चाहा तो उनकी प्राथमिकता भिवानी लोकसभा ही रही,जो कि अब भिवानी महेंद्रगढ़ बन गई है।

पूर्व सीएम बंसीलाल सहित तीन पीढियां भेजी लोकसभा

भिवानी की जनता ने एक ही नहीं तीन-तीन पीढ़ियों को चुनकर देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा) में भेजा। भिवानी की जनता ने तीन बार पूर्व सीएम बंसीलाल, दो बार चौ. सुरेंद्र सिंह तथा एक बार श्रुति चौधरी को चुनकर दिल्ली भेजा गया। इसी तरह पूर्व सीएम भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई को एक बार, पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला को एक बार, धर्मबीर सिंह को दो बार तथा उनसे पहले वर्ष 1987 में रामनारायण तथा 1991 में पूर्व सांसद चौ. जंगबीर सिंह को चुनकर दिल्ली दरबार में भेजा था।

2009 में अजय को हराकर श्रुति बनी थी सांसद

वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में पूर्व सांसद श्रुति चौधरी ने अपने प्रतिद्वंद्वी अजय सिंह चौटाला को हराकर संसद मंे पहुंची। उस वक्त श्रुति चौधरी को 302817 वोट मिले,जबकि अजय सिंह चौटाला को 2 लाख 47 हजार 240 मत मिल पाए थे। वर्ष 2014 में सांसद धर्मबीर सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी राव बहादुर व श्रुति चौधरी को मात देकर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। उस वक्त सांसद धर्मबीर सिंह को 404542 वोट मिले,जबकि राव बहादुर को 275148, श्रुति को 268115 वोट मिले थे। इसी तरह वर्ष 2019 में सांसद धर्मबीर सिंह ने 736699 तथा श्रुति चौधरी को 292236 वोट मिले थे।

भिवानी की राजनीतिक जमीन खिसकने मलाल

मन में तीनों लालों के लालों की भिवानी से चुनाव लड़ने की टीस तो है,लेकिन अब राजनीतिक हालत बदलने व लोगांे का चुनावी नेच्चर बदलने की वजह उनके लिए दिल्ली दरबार दूर हो गई है। उसके बावजूद अभी तक तीनांे नेताओं की औलाद भिवानी चुनावी दंगल में जोर आजमाइश के लिए प्रयासरत है। अब वे भिवानी राजनीतिक जमीन खिसकने का मलाल होने लगा। क्योंकि लालों के लाल की बजाए दूसरे राजनेताओं ने भिवानी की राजनीति पर अपनी पकड़ बना ली है। जिसकी वजह से लालों के लाल के हाथों से भिवानी की राजनीति की जमीन खिसकने लगी है।

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