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डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह को पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने फरलो याचिका पर अब 31 जुलाई को सुनवाई होगी।

Gurmeet Ram Rahim Case: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से तुरंत कोई राहत नहीं मिल पाई है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया पर आधारित डिविजन बेंच ने डेरा प्रमुख की फरलो की अर्जी पर मुख्य याचिका के साथ 31 जुलाई तक स्थगित कर दी है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने एसजीपीसी और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के आदेश दिए है।  

दरअसल, डेरा प्रमुख ने इससे पहले अवकाशकालीन बेंच के सामने 14 जून को यह अर्जी दायर की थी। लेकिन, अवकाशकालीन बेंच ने कोई आदेश जारी न करते हुए कहा था कि चीफ जस्टिस की बेंच ही इस अर्जी पर सुनवाई करेगी। क्योंकि, यह मामला उसी बेंच में विचाराधीन है। डेरा प्रमुख ने हाईकोर्ट से 21 दिन की फरलो देने के निर्देश देने की मांग की है, ताकि वह इस अवधि के दौरान जेल से बाहर रहकर "कल्याणकारी गतिविधियां" कर सकें। फरलो पर रिहाई की मांग करते हुए उनकी अर्जी में कहा गया है कि आवेदक की अध्यक्षता में डेरे की ओर से कई कल्याणकारी गतिविधियां की जाती हैं, जैसे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, नशा मुक्ति और गरीब लड़कियों की शादी। जिसके लिए आवेदक की ओर से प्रेरणा अभियान चलाने की जरूरत है।

हाईकोर्ट ने सात अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में फैसला किया था कि डेरा प्रमुख कट्टर अपराधी की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं। हाईकोर्ट को यह भी बताया गया है कि हरियाणा गुड कंडक्ट कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर साल 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है।  

याचिका में यह भी कहा गया है कि उसने अतीत में पैरोल या फरलो की छूट का दुरुपयोग नहीं किया है और हमेशा समय रहते आत्मसमर्पण किया है। यहां तक कि उसे किसी भी स्तर पर विशेष सुविधा भी दी गई है। डेरा प्रमुख के अनुसार, 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो पहले से ही उपयुक्त अधिकारियों द्वारा विचाराधीन है।

हाईकोर्ट ने राज्य को दिया था निर्देश

बता दें कि हाईकोर्ट ने 29 फरवरी को राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में कोर्ट की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए। यह मामला शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की दायर याचिका के मद्देनजर हाईकोर्ट में लंबित है। याचिका में डेरा प्रमुख को दुष्कर्म और हत्या के मामलों में दोषी होने के बावजूद प्रदेश सरकार से बार-बार पैरोल या फरलो पर रिहा करने पर आपत्ति जताई गई है।

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