हाईकोट: हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर एवं जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद को राहत देते हुए एकल बेंच के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसके तहत एकल बेंच ने उनको अवमानना का दोषी मानते हुए तलब किया था। प्रसाद ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर एकल बेंच के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
न्यायालय ने मुख्य सचिव को किया था तलब
टीवीएसएन प्रसाद ने एक मामले में दिसम्बर में हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था कि कानूनगो से नायब तहसीलदार पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा दो माह में करवा ली जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने इसे प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना का मामला मानते हुए मुख्य सचिव को तलब कर लिया था। याचिका दाखिल करते हुए याची रेशम सिंह ने हाई कोर्ट को बताया था कि वह कानूनगो है और 31 मार्च 2024 को रिटायर होने जा रहा है। वह नायब तहसीलदार के तौर पर पदोन्नति के लिए योग्य है लेकिन सरकार विभागीय परीक्षा आयोजित नहीं कर रही।
हाईकोर्ट ने 2 माह में परीक्षा करवाने के दिए थे निर्देश
दिसंबर 2023 में हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए दो माह में परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था। इसके बाद याची रिटायर हो गया, लेकिन परीक्षा आयोजित नहीं की गई। इसके चलते अवमानना याचिका दाखिल की गई। अवमानना याचिका पर सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए बताया कि पहले 18 और 22 मार्च को परीक्षा का निर्णय लिया गया था, लेकिन विभागीय कारणों से परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकी। इसके बाद अप्रैल में परीक्षा की तिथि तय की गई लेकिन चुनावी ड्यूटी के चलते परीक्षा को स्थगित कर दिया। इसके बाद जुलाई के प्रथम सप्ताह में दो चरणों में परीक्षा आयोजित की गई थी।
मुख्य सचिव ने एकल बेंच के निर्णय को दी थी चुनौती
एकल बेंच ने कहा था कि दलील देकर सरकार हाई कोर्ट में दिलाए गए विश्वास को नहीं तोड़ सकती। यह प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना का मामला बनता है। याची बिना पदोन्नति पाए रिटायर हो गया, वह भी बिना किसी दोष के। वह पदोन्नति के लिए सभी योग्यता रखता था, सिवाय विभागीय परीक्षा पास करने के। ऐसे में अगली सुनवाई पर मुख्य सचिव अवमानना के आरोप तय करने के लिए कोर्ट में हाजिर रहें। एकल बेंच के इसी आदेश को अपील में चुनौती दी गई हे।