नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: गुरुग्राम लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह की जीत को भले ही आसान मानकर मतों के भारी अंतर से जीत के दावे किए जा रहे हों। लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी में भितरघात की तलवार प्रत्याशी के सिर पर अंतिम वोट डलने तक लटकी रहेगी। लगभग हर हलके में मौजूद राव विरोधी नेता अंदरखाने उन्हें झटका देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अगर इन नेताओं के प्रयास सिरे चढ़े तो अपने-अपने हलकों में वह नुकसान पहुंचाने का पूरा प्रयास कर सकते हैं। ऐसे में अगर राव को हरा नहीं पाए, तो जीत का अंतर जरूर कम करवा सकते हैं।
रेवाड़ी हलके में विरोधियों की संख्या अधिक
भाजपा में शामिल होने के बाद से ही पार्टी के कई पुराने नेताओं की राव से दूरी बनी रही है। खासकर रेवाड़ी हलके में उनके विरोधियों की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछले विधानसभा चुनावों में उनके दो नए विरोधी पैदा हुए थे। टिकट कटने के बाद रणधीर सिंह कापड़ीवास ने राव को अपना सबसे बड़ा राजनीतिक दुश्मन मान लिया था। राव समर्थित सुनील मुसेपुर को हराने के लिए कापड़ीवास खुलकर बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हो गए थे। कापड़ीवास के साथ अंदरखाने भाजपा के कई अन्य वरिष्ठ नेता भी एकजुट होकर उन्हें जिताने में लग गए थे। भाजपा प्रत्याशी सुनील मुसेपुर का व्यक्तिगत वोट बैंक लगभग शून्य होने के कारण राव इंद्रजीत सिंह के तमाम प्रयासों पर विरोधी खेमे ने पानी फेर दिया था।
डॉ. अरविंद यादव व राव इंद्रजीत के बीच मतभेदों की दीवार
चुनाव प्रचार के दौरान डॉ. अरविंद यादव और राव इंद्रजीत सिंह के बीच मतभेद की दीवार खड़ी हो गई थी। वहीं, पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह और इंद्रजीत सिंह के बीच काफी पुराना छत्तीस का आंकड़ा है। गत विधानसभा चुनावों में टिकट कटने के बाद नरबीर राव से और ज्यादा दूरी बना चुके हैं। डॉ. सुधा यादव से भी राव के राजनीतिक मतभेद दशकों पुराने हैं। इसी तरह गत विधानसभा चुनावों में राव के कारण ही टिकट से वंचित रही पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव भी हिसाब चुकता करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। राव को टिकट मिलने के बाद विरोधी खेमे को एक बार फिर झटका लग चुका है। रणधीर कापड़ीवास राव की टिकट पक्की होने के बाद अलवर में भूपेंद्र यादव के लिए प्रचार में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
एकजुटता से पहुंच सकता है नुकसान
राव विरोधी खेमे से जुड़े नेताओं का अपने-अपने हलकों में कहीं कम, तो कहीं अच्छा जनाधार है। व्यक्तिगत जनाधार रखने वाले नेताओं के समर्थक उनके इशारे पर ही मतदान का निर्णय लेते है। भले ही विरोधी खेमे के नेताओं का जनाधार राव समर्थकों के मुकाबले हासिए पर हो, परंतु उनकी एकजुटता एक अंदरखाने किया जाने वाला विरोध बड़ा नुकसान कर सकता है। राव को टिकट मिलने के बाद विरोधी खेमे के नेताओं की ओर से उनके पक्ष में प्रचार करने जैसे कोई संकेत नहीं दिए गए हैं।
मजबूत टीम से बड़ी जीत की उम्मीद
भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह के पास अहीरवाल के सभी हलकों में समर्थकों की मजबूत टीम है। उनसे नाराज चलने वाले नेताओं को मनाने के लिए पहल करना उनकी डिप्लोमैसी में शामिल ही नहीं है। इस बार मेवात क्षेत्र में बदले हुए राजनीतिक हालात राव को तीन में कम से कम एक या दो हलकों में जीत दिलाने का काम कर सकते हैं। मेवात के वोट बैंक का झुकाव और अहीरवाल में भाजपा की एकजुटता राव की जीत का इतिहास बनाने का माद्दा भी रखती है।