रवींद्र राठी, Bahadurgarh: एक तरफ जहां कांग्रेस अपने लगभग तय उम्मीदवार के नाम का ऐलान करने से बच रही हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने गहन मंथन के बाद फिर से सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को रोहतक संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। दंत चिकित्सा छोड़कर राजनेता बने अरविंद शर्मा मूल रूप से बादली के एमपी माजरा गांव के निवासी हैं। सोनीपत से निर्दलीय सांसद चुने जाने के बाद वे दो बार कांग्रेस की टिकट पर करनाल तथा एक बार भाजपा की टिकट पर रोहतक से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। हालांकि अपने राजनीतिक जीवन में अरविंद शर्मा को तीन लोकसभा चुनावों तथा दो विधानसभा चुनावों में हार का मुंह भी देखना पड़ा है।
दीपेंद्र हुड्डा को हराना भाजपा के लिए थी कड़ी चुनौती
2014 की मोदी लहर में भी जीत हासिल करने वाले दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक संसदीय क्षेत्र से हराना भाजपा नेतृत्व के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को आसान बनाने के लिए डॉ. अरविंद शर्मा भाजपा में शामिल हुए और पार्टी ने उन्हें रोहतक से मैदान में उतार दिया। इसके बाद नजदीकी मुकाबले में भाजपा के डॉ. अरविंद शर्मा ने कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को 7 हजार 503 वोटों से हरा दिया। बसपा के किशन लाल पांचाल को 38 हजार 364, जजपा के प्रदीप देशवाल को 21 हजार 211 तथा इनेलो के धर्मबीर फौजी को 7158 वोट मिले थे। रोहतक संसदीय क्षेत्र के तमाम समीकरणों को टटोलने के बाद भाजपा ने एक बार फिर डॉ. अरविंद शर्मा पर ही दांव लगाना उचित समझा है। भाजपा नेतृत्व को उम्मीद है कि छत्तीस बिरादरी के समर्थन से अरविंद पांचवीं बार देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचेंगे।
सोनीपत से निर्दलीय जीते थे अरविंद
डॉ. अरविंद शर्मा ने चिकित्सा क्षेत्र को अलविदा कहते हुए राजनीति में प्रवेश किया और जून 1995 में पंचायती राज संघर्ष मोर्चा का गठन किया। शर्मा ने वर्ष 1996 में सोनीपत संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। आजाद उम्मीदवार के रूप में उन्होंने 2 लाख 31 हजार 552 वोट प्राप्त किए। जबकि समता पार्टी के रिजक राम को एक लाख 82 हजार 12, हरियाणा विकास पार्टी के अभय राम दहिया को एक लाख 51 हजार 294 तथा कांग्रेस के धर्मपाल मलिक को केवल 57 हजार 615 वोट हासिल हुए थे।
सोनीपत-रोहतक में हारे
वर्ष-1998 में अरविंद शर्मा ने शिवसेना के प्रत्याशी के रूप में सोनीपत लोकसभा से भाग्य आजमाया। लेकिन इस बार एक लाख 43 हजार 911 वोटों के साथ वे तीसरे स्थान पर रहे। लोकदल की टिकट पर भाजपा के किशन सिंह सांगवान ने 2 लाख 90 हजार 299 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी। हविपा के अभय राम दहिया दूसरे स्थान पर रहे थे। रोहतक संसदीय क्षेत्र से 1999 में इनेलो-भाजपा के कैप्टन इंद्र सिंह ने भूपेंद्र हुड्डा को एक लाख 44 हजार 693 वोटों से हरा दिया। निर्दलीय प्रत्याशी अरविंद शर्मा को 27 हजार 265 वोट ही मिले थे।
करनाल से दो बार जीते
डॉ. अरविंद शर्मा 1999 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। वर्ष-2004 में शर्मा ने करनाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और 3 लाख 18 हजार 948 वोट प्राप्त किए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के आईडी स्वामी को एक लाख 64 हजार 762 वोटों से हराया। इनेलो के अशोक अरोड़ा एक लाख 13 हजार 510 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। वर्ष 2009 में अरविंद ने फिर से करनाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और 76 हजार 346 वोटों से विजयी हुए। इस बार उन्हें 3 लाख 4 हजार 698 वोट प्राप्त हुए। दूसरे नंबर पर रहे बसपा के वीरेंद्र मराठा को 2 लाख 28 हजार 352 तथा तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के आईडी स्वामी को एक लाख 85 हजार 437 वोट मिल पाए।
मोदी लहर में करनाल हारे
वर्ष-2014 में डॉ. अरविंद शर्मा ने तीसरी बार कांग्रेस की टिकट पर करनाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार मोदी लहर के कारण वे हैट्रिक बनाने से चूक गए। भाजपा के अश्विनी चौपड़ा ने 3 लाख 60 हजार 147 वोटों के बड़े अंतर से उन्हें हराया। अश्विनी चौपड़ा को 5 लाख 94 हजार 817, अरविंद शर्मा को 2 लाख 34 हजार 670 वोट मिले, इनेलो के जसविंद्र संधु को 1 लाख 87 हजार 902 तथा बसपा के वीरेंद्र मराठा को 1 लाख 2 हजार 628 वोट हासिल हुए थे।
बसपा का सीएम चेहरा बने
करनाल से शिकस्त मिलने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और बसपा में शामिल हो गए। मायावती ने अरविंद को वर्ष-2014 में सीएम पद का चेहरा घोषित करते हुए यमुनानगर और जुलाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़वा दिया। यमुनानगर सीट पर बसपा उम्मीदवार के रूप में उन्हें 10 हजार 367 वोट ही मिले। जबकि जुलाना से अरविंद शर्मा को 22 हजार 286 वोट मिले। दोनों हलकों में अरविंद तीसरे नंबर पर रहे। फिर वर्ष-2019 में अरविंद शर्मा भाजपा में शामिल हो गए और रोहतक संसदीय सीट से जीत हासिल की।