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क्रिकेट की दुनिया में बीरेंद्र सहवाग के नाम से अपनी पहचान बना चुकी हरियाणा के रोहतक में जन्मी शेफाली वर्मा ने महिला टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर इतिहास रच दिया। आस्ट्रेलिया की एनाबेल सदरलैंड के बाद शेफाली दूसरी महिला क्रिकेटर बनी है। 

रोहतक। देश हो या विदेश ‘देशा में देश हरियाणा, जित दूध दही का खाना’ हरियाणा की यही पहचान है।/> खेत-खलियान से लेकर खेल का मैदान, देश की सीमा या आंतरिक्ष कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहां हरियाणा की माटी के लालों ने अपनी खुशबू नहीं बिखेरी हो। ऐसा ही एक नाम है शेफाली वर्मा। रोहतक के एक सामान्य परिवार में जन्मी शेफाली ने 15 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया और शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ महिला टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज दोहरा शतक जड़कर इतिहास रच दिया। इससे पहले आस्ट्रेलिया की एनाबेल सदरलैंड ही महिला टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगा पाई है। इस उपलब्धि के साथ शेफाली महिला क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाली दूसरी महिला क्रिकेटर बन गई।

महिला क्रिकेट में सहवाग के नाम से पहचान

भारतीय महिला टीम की ओपनर बल्लेबाज शेफाली वर्मा को महिला क्रिकेट में सहवाग के नाम से भी जाना जाता है। खेल के मैदान पर उनकी निडर शैली के चलते उन्हें यह नाम दिया गया है। भारत को महिला टी-20 विश्व कप विजेता बनाने में भी शेफाली की अहम भूमिका रही थी तथा अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में अब तक कई उपलब्धि अपने नाम दर्ज कर चुकी है।

197 गेंद में बनाए 205 रन

शेफाली वर्मा ने महिला टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे तेज दोहरा शतक लगाया। 197 गेंद में 23 चौकों व आठ चौकों की मदद से शेफाली ने 205 रन बनाए। इससे पहले उन्होंने 113 गेंद में शतक बनाया था तथा अगली 84 गेंद पर 105 रन बना दिए। 113 गेंद पर शतक बनाने वाली शेफाली विरोधी टीम की गेंदबाजों पर ऐसी चढ़ाई की कि अगले 105 रन महज 84 गेंद में बनाकर एक नया इतिहास रच दिया।

पिता बोले, बेटी पर गर्व

टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने के बाद शेफाली के पिता संजीव वर्मा ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। शेफाली न केवल निडर होकर खेली, बल्कि उसने अपनी पूरी पारी में एक भी गलत शॉट नहीं लगाया। मैं तो टेस्ट क्रिकेट में शतक का इंतजार कर रहा है, शेफाली ने तो चेन्नई के एमए चिंदबरम स्टेडियम में साउथ अफ्रीका के खिलाफ दोहरे शतक लगाकर कीर्तिमान ही बना दिया। शेफाली के पिता ने कहा कि यह सब शेफाली की मेहनत व समर्पण, उसके प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन से ही संभव हो पाया है। पिता ने कहा कि रिकार्ड हमेशा टूटने के लिए ही बनते हैं। शेफाली ने शुक्रवार को जो रिकार्ड बनाया, वह भी एक दिन टूटेगा। मैं तो यहीं चाहूंगा कि शेफाली स्वयं ही इसे तोड़े।

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