Haryana: हरियाणा के सहकारिता विभाग में हुए गोलमाल और खेल के मास्टरमाइंट के भूमिगत हो जाने की सूचना के बाद हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो की टीमें सक्रिय हो गई हैं। विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के नोडल अधिकारी के रूप में हरको बैंक के एमडी नरेश गोयल के एंटी करप्शन ब्यूरो को विदेश भाग जाने की आशंका हो गई है। जिसके बाद ब्यूरो की टीमें भागदौड़ में जुट गई हैं। पिछले एक सप्ताह से टीम उसके पंचकूला और चंडीगढ़ संभावित ठिकानों पर दबिश देकर जांच पड़ताल में लगी हैं, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
नरेश गोयल की गिरफ्तारी के बाद होगा खुलासा
ब्यूरो सूत्रों का कहना है कि गोयल की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले की असलियत सामने आएगी। संभावना है कि इस घोटाले में कुछ सफेदपोश और रसूखदार लोगों की अहम भूमिका भी साफ हो जाएगी। एसीबी के गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर में असिस्टेंट रजिस्ट्रार अनु कौशिश सहित अन्य लोगों के खिलाफ कई संगीन धाराओं में केस दर्ज किया है। नरेश गोयल के अलावा करोड़ों के घोटाले की मास्टरमाइंड असिस्टेंट रजिस्ट्रार अनु कौशिश और बिजनेसमैन स्टालिनजीत सिंह मुख्य आरोपितों में बताया जा रहा है, इन्होंने ही फेक बिल और फर्जी कंपनियों के नाम पर सरकारी पैसे को ठिकाने लगाया। अपने बैंक अकाउंट का पैसा हवाला के जरिए दुबई और कनाडा तक पहुंचाया। ये दोनों भी विदेश भागने की फिराक में थे, लेकिन एसीबी को इसकी भनक लग गई और दोनों को गिरफ्तार कर लिया था।
सरकार दे चुकी 17-A को मंजूरी
सरकार की ओर से हाल ही में इस योजना के नोडल अधिकारी नरेश गोयल के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो को 17-A के तहत जांच की मंजूरी दी है। एसीबी ने घोटाले में दर्ज केस में शामिल करने के लिए दिसंबर 2023 में गोयल के खिलाफ 17-A की मंजूरी मांगी थी। हालांकि मंजूरी में देरी हुई तो एसीबी को फिर से मुख्य सचिव ऑफिस को दोबारा स्मरण पत्र लिखना पड़ा। सीएस ऑफिस की ओर से और दस्तावेज मांगे गए, लेकिन जब सूबे में मुखिया बदला तो फिर मंजूरी आसानी से मिल गई। सबसे अहम बात यह है कि 17-A की मंजूरी मिलने के बाद नरेश गोयल दो बार अग्रिम जमानत के लिए प्रयास कर चुका है। सबसे पहले उसके द्वारा सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की, यहां से खारिज कर दिया गया। इसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचा, लेकिन वहां से भी उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया और उसके बाद से वो भूमिगत है।
2 फरवरी को हुआ था खुलासा
बीती दो फरवरी को सहकारिता विभाग के इस घोटाले का खुलासा हुआ था। ब्यूरो ने आईसीडीपी परियोजना में करोड़ों के घोटाला को पकड़ने का दावा किया था। ब्यूरो अब तक इस मामले में 10 वरिष्ठ अधिकारियों सहित 20 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी कर चुका है। सहकारिता विभाग के सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति, जिला रजिस्ट्रार सहकारी समिति द्वारा ऑडिटर की मिलीभगत से सरकारी खाते में जमा राशि से अपने निजी हित में फ्लैट तथा जमीन आदि खरीदी जा रही थी। इन अधिकारियों द्वारा सरकारी रिकॉर्ड, बैंक खातों संबंधी विवरण आदि भी सरकारी रिकॉर्ड में जाली लगाया गया था।
घोटाले के कारण बदल गए मंत्री
घोटाले के कारण डॉ. बनवारी लाल से सहकारिता विभाग वापस ले लिया गया है। दरअसल सूबे में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद फिर से मंत्रिमंडल का गठन किया है। नए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपने मंत्रिमंडल में सहकारिता विभाग महिपाल ढांडा को दे दिया है। पूर्व में यह महकमा डॉ. बनवारी लाल देख रहे थे। घोटाले का खुलासा होने के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। विधानसभा के बजट सत्र में भी विपक्ष ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर जमकर सवाल उठाए थे।