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हरियाणा के सोनीपत लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस व भाजपा माथापच्ची कर रही है। यहां सीधे तौर पर भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। वहीं, जजपा व इनेलो भी अपने प्रत्याशी मैदान में उतारने के लिए तैयारी कर रही है।

दीपक वर्मा, सोनीपत: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं। भाजपा हो या फिर कांग्रेस, दावेदार खुद को उम्मीदवार बनाने के चक्कर में दिल्ली में नेताओं की गणेश परिक्रमा करने में लगे हुए हैं। वहीं जजपा या इनेलो की बात करें तो अभी तक यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। प्रदेश में जनाधार रखने वाले राजनीतिक दलों में शामिल ये चारों ही पार्टियां चुनाव मैदान में उतरेंगी, लेकिन इस बार सोनीपत लोकसभा का चुनाव सीधे तौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही लड़ा जाना है। जजपा या इनेलो से अगर कोई बढ़िया प्रत्याशी मैदान में आता है तो वे काफी हद तक समीकरण बिगाड़ सकते हैं। हालांकि अभी तक इन दोनों पार्टियों में प्रत्याशी के नाम पर ज्यादा मंथन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी को लेकर कर रही मंथन

सोनीपत लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस और भाजपा की बात करें तो दोनों ही पार्टियों को टिकट के लिए काफी मंथन करना पड़ रहा है। दोनों ही पार्टियों के पास दावेदारों की संख्या काफी है। कांग्रेस से तो 79 नेताओं ने अपना दावा पेश किया है। इसी वजह से दोनों ही पार्टियों को मंथन करना पड़ रहा है। आंकड़ों की बात करें तो सोनीपत लोकसभा में कुल 9 विधानसभा आती हैं, जिसमें सोनीपत, गन्नौर, राई, खरखौदा, गोहाना, बरोदा, सफीदों, जुलाना और जींद शामिल है। लोकसभा में 2019 में कुल 11 लाख 31 हजार 146 मतदाताओं ने अपने मतदान का प्रयोग किया था।

भाजपा की गुणा-भाग, रायशुमारी से अलग

मौजूदा घटनाक्रम के बाद भाजपा के पास रायशुमारी में आए बाकि चार नामों पर मंथन किया जा रहा है। सुनने में आया है कि भाजपा थिंक टैंक ने गुणा-भाग कर चारों को साइड में कर दिया है। क्योंकि इनमें से एक-एक चेहरा जाट और वैश्य समाज से है। वहीं दो चेहरे ब्राह्मण समुदाय से हैं। एक ब्राह्मण नेता के विरोध में प्रदेश के पहलवान उतर सकते हैं। वहीं दूसरे ब्राह्मण नेता का लोकसभा की तीन-चार विधानसभा को छोड़कर अन्य जगहों पर कुछ खास आधार भी नहीं है। जाट नेताओं में एक के साथ पहलवानों से संबंधित विवाद जुड़ा हुआ है। वहीं वैश्य समाज से आने वाले नेता को उनके समाज के कोटे की बात पर साइड में रखा जा रहा है।

25 साल पुराना इतिहास दोहराएगी कांग्रेस

कांग्रेस की ओर से सोनीपत लोकसभा के लिए कुल 79 नेताओं ने अपना दावा पेश किया था। इसमें से अधिकतर तो सिर्फ नाम के दावेदार हैं। जो नेता सही मायनों में तैयारियों में लगे हुए हैं, उन्हें भी शायद पार्टी अपनी टिकट ना दें। 25 साल बाद ऐसा हो सकता है कि कांग्रेस इस सीट से किसी नॉन जाट चेहरे को मैदान में लाएगी। हालांकि अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन हरियाणा के बदले तेवरों को देखते हुए और जातिगत समीकरण साधने के लिए इस बार कांग्रेस भाजपा की रणनीति पर काम कर सकती है।

2019 में हॉट सीट रहा था सोनीपत

सोनीपत लोकसभा सीट पर चुनाव हर बार ही बेहद रोमांचक होते हैं, लेकिन पिछली बार यानि 2019 के चुनावों में सोनीपत हॉट सीट बना हुआ था। क्योंकि भाजपा ने सीटिंग एमपी रमेश कौशिक को फिर से मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उम्मीदवार बनाया गया था। इतना ही नहीं, जजपा सुप्रीमों ने अपने छोटे बेटे दिग्विजय चौटाला को प्रत्याशी बनाया था। हालांकि रमेश कौशिक ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 1 लाख 64 हजार 864 मतों से हराया था, लेकिन मुकाबला बेहद शानदार रहा था। दिग्विजय चौटाला ने 51 हजार मत हासिल करते हुए तीसरा स्थान बनाया था।

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