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Supreme Court Decision: शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। इसमें एससी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जाए, जो किसानों से बात करने में सक्षम हो।

Supreme Court Decision: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार 24 जुलाई को सुनवाई हुई। एससी ने अपने आदेश में कहा है कि एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जाए, जिसमें  राज्य सरकार के लोग और कृषि एक्सपर्ट शामिल हों, जो शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करने में सक्षम हो। इसके साथ ही यह भी कहा कि जो इस कमेटी के सदस्य होने के काबिल हैं, पंजाब-हरियाणा कोर्ट इनके नामों के लिए अपनी सलाह दें।

एक हफ्ते के बाद होगी अगली सुनवाई

इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते में दोनों राज्यों यानी पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार से इन सदस्यों के नाम मांगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर फिलहाल जैसी स्थिति है, उसे बरकरार रखने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि अब इस मामले की अगली सुनवाई एक हफ्ते के बाद होगी। वहीं, पंजाब सरकार का कहना है कि हरियाणा सरकार बॉर्डर को खोलने पर विचार करे, ताकि स्थानीय लोगों के असुविधा का सामना न करना पड़े।

व्यापारियों को झेलनी पड़ रही परेशानी

बता दें कि एमएसपी की लीगल गारंटी सहित 12 मांगों को लेकर किसान 13 फरवरी, 2024 को  दिल्ली कूच के लिए निकले थे, लेकिन हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर पर उनका रास्ता बंद कर द‍िया था। तब से ही क‍िसान शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं और सरकार ने भी अभी तक इस रास्ते को नहीं खोला है। इससे दोनों ही राज्य के व्यापारियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसलिए उन्होंने रास्ता खुलवाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर अदालत ने हरियाणा सरकार को एक सप्ताह में बॉर्डर खोलने और बैरिकेट हटाने के आदेश दिए थे।

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सरकार ने इस वजह से दायर की थी याचिका

वहीं, आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा- गैर राजनीतिक और किसान मजदूर मोर्चा ने ऐलान कर द‍िया है कि जैसे ही हरियाणा सरकार रास्ता खोलेगी, वह द‍िल्ली की तरफ कूच करेंगे। इसलिए हरियाणा सरकार कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं थी और उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट अहनी याचिका दायर कराई थी।    

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