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हरियाणा के नारनौल में ऊंटनी की याद में एक युवक ने मंदिर बनवा दिया। 31 मार्च को ऊंटनी की मूर्ति स्थापना व काज के कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसको लेकर युवक का परिवार तैयारियों में जुटा हुआ है।

Narnaul: अगर कोई समझे तो बेजुबान जानवर व इंसान के बीच का रिश्ता बेहद खास होता है। हम इंसान जानवरों को प्यार देते है तो वे इसके बदले वफादारी निभाता है। हम ऐसे ही पशु प्रेमी के बारे में बताने जा रहे है। इन पशु प्रेमी ने जब ऊंटनी खरीदी और काम-धंधा शुरू किया तो उस समय करीब पांच लाख का कर्जा उनके ऊपर था। पांच साल में ही इस परिवार के वारे-न्यारे हो गए। फिर आठ साल ऊंटनी से बोझ ढोने की बजाय परिवार ने पूरी सेवा की। उसकी मौत के बाद अब इस परिवार ने ऊंटनी की याद में मंदिर बना दिया है। राजस्थान से ऊंटनी की हुबहू मूर्ति बनवा दी है। चार दिन बाद 31 मार्च को यह परिवार इस मूर्ति की स्थापना करेगा और उसका काज भी करेगा। इन दिनों पूरा परिवार तैयारियों में जुटा हुआ है।

राज्यमंत्री डॉ. अभय सिंह यादव का हैं गांव कांवी

नारनौल से नांगल चौधरी मार्ग पर गांव कांवी है। राज्य मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव इसी गांव से है। इस गांव की ढाणी मुरारीपुर है, जिसमें शीशपाल का परिवार रहता है। शीशपाल पहले राजस्थान के कोटा में मजदूरी करता था। साल 2004 में वापस आया और परिजनों के मना करने पर भी गांव सेका से ऊंटनी व गाड़ी 14 हजार कीमत में खरीद लाया। उस वक्त परिवार की खस्ता हालत थी। कर्जा भी करीब पांच लाख सिर पर था। फिर भी शीशराम मेहनत में जुट गया। इस ऊंटनी के घर आंगन में पड़े पैर से परिवार के वारे-न्यारे हो गए। चार बेटों में से दो बेटे मनपाल व उदमीराम जमींदारा, तीसरा बेटा रामभरोस का मारूति पार्ट्स बनाने वाली जापान की कंपनी में मैनेजर बन गया। चौथे बेटे ने गांव में टैण्ट हाउस का काम शुरू किया।

एक के बाद एक दो गाड़ी खरीद डाली

शीशपाल ने बताया कि ऊंटनी के आने के बाद देखते ही देखते साल 2011 में ट्रैक्टर व 2012 में पिकअप खरीदी। 2013 में टैण्ट हाउस का काम शुरू किया। साल 2017 में कार खरीदी। पिछली दिवाली पर दूसरी गाड़ी घर में आई। शीशराम के पौत्र-पौत्री भी अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे है। शीशराम के बेटे रामभरोसे ने बताया कि माता कमला ने तो दो साल बाद ही ऊंटनी के घर में शुभ आने की बात कहकर पूरी सेवा करने व काज करने की इच्छा जता दी थी। बीच में नवंबर-2016 में भाभी का निधन, फिर दिसंबर-2016 में ऊंटनी की मौत और साल 2022 में माता कमला देवी के निधन हो जाने के बाद यह कार्य आगे खिसकता चला गया।

ऊंटनी के पैर घर में पड़ने पर आई खुशहाली

पशु प्रेमी शीशराम के बेटे रामभरोसे ने बताया कि मुरारीपुर में ही ऑन रोड उनकी जमीन है। यहां मंदिर बना दिया गया है। राजस्थान के पाटन में गुरजली की ढाणी से स्पेशल ऊंटनी की तस्वीर देकर 39 इंच चौड़ी व 48 इंच लंबाई की मूर्ति बनवाई है। इसे मंदिर में रखा गया है। इसी ऊंटनी की वजह से परिवार में खुशहाली आई है, ऐसा हमारा पूरा परिवार मानता है। इसी वजह से 31 मार्च को परिवार ऊंटनी की मूर्ति स्थापना व काज कर रहा है। इस दिन कीर्तन के बाद दिन में चार हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई है।

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