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13 और 15 साल की बहनों को मिला न्याय, चारों को अदालत ने सुनाई फांसी की सजा जिले में सातवीं बार किसी अपराध में अदालत ने सुनाई है कठोरतम सजा सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या का ऐसा दूसरा मामला जिसमें दी गई है मौत की सजा

Sonipat News : 5 अगस्त 2021 की वह रात उस विधवा महिला के लिये बड़ी ही भयावह थी। जिसकी दो नाबालिग बेटियों के साथ चार दरिंदे अपनी हवस पूरी करते हैं। जब विरोध होता है तो दोनों को जहरीला पदार्थ पिला देते हैं। इससे भी उन दरिंदों का मन नहीं भरा तो मां को धमकी देते हैं, अगर किसी को कुछ बताया तो बेटों को भी जान से मार देंगे। उस रात वो विधवा अपनी बेटियों को कमरे से छत पर ले जाती है। सुबह 4 बजे तक जब दोनों बेटियां तड़पती रहती हैं तो मां उन्हें दिलासा भी देती है। सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद जहरीले पदार्थ के दर्द से तड़पती 13 और 15 साल की ये लड़कियां अगले दिन नरेला के राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में दम तोड़ देती हैं। हालत सोचिये उस मां की क्या होगी जिसकी दो बेटियां को तो दरिंदों ने मार दिया और बाकि बचे 3 बेटों पर मौत खतरा मंडरा रहा था। ऐसे में बेचारी पुलिस को झूठ बोलती है कि बेटियों को सांप ने डंस लिया। ये तो शुक्र है पोस्टमार्टम में दोनों लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म और कीटनाशक दवाई के कारण मौत का पता चल जाता है। अगर ऐसा नहीं होता तो इंसानियत के ये हत्यारे कभी पकड़ में भी नहीं आते। कुंडली थाना क्षेत्र में वर्ष 2021 में नाबालिग बहनों से दुष्कर्म करने और जहरीला पदार्थ पिलाकर हत्या करने के इस मामले में शुक्रवार को जिले की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश की अदालत ने मूल रूप से बिहार के रहने वाले अरुण पंडित, फूलचंद, दुखन पंडित और रामसुहाग को फांसी की सजा सुनाई है।

सोनीपत के इतिहास में ऐसा 7वीं बार हो रहा है, जब किसी अपराध को अदालत ने दुलर्भ से भी दुलर्भ अपराध की श्रेणी में रखते हुए दोषियों को फांसी की सजा सुनाई हो। इस अपराध के मामले में सजा सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश सुरुचि अतरेजा सिंह ने कई पहलुओं को ध्यान में रखा है। विशेषतौर पर अपराधियों ने जिस तरह से अपराध को अंजाम दिया तथा उनकी विधवा मां को बेटों को जान से मारने की धमकी दी गई, इस तरह की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए ही कठोरतम सजा सुनाई गई है। मामले में पुलिस की रिपोर्ट से पता चलता है कि बेटों को मारने की धमकी के चलते महिला भी डरकर चुप रही थी। 5 अगस्त 2021 की रात वारदात के बाद वह बेटियों को लेकर छत पर चली गई थी। तड़के चार बजे तक दोनों बहन छत पर तड़पती रही। फिर जब उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई थी तो दोनों को दिल्ली के नरेला स्थित राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर उनकी मौत हो गई थी।

पोस्टमार्टम ना होता तो दब जाता मामला

इस मामले में 5 अगस्त को दुष्कर्म के बाद दोनों नाबालिग लड़कियों की अस्पताल में मौत हुई थी, उसके बाद कुंडली थाना पुलिस को सूचना मिली थी। पुलिस के पहुंचनें पर मृतक लड़कियों की मां ने चारों अपराधियों के डर से बेटियों की मौत की वजह साँप का डंसना बताया था। इसके बाद पुलिस ने दोनों लड़कियों के शवों का पोस्टमार्टम करवाया था। पोस्टमार्टम में पता चला कि लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था और उनकी मौत सर्पदंश नहीं बल्कि कीटनाशक के कारण हुई है। इसके बाद 9 अगस्त को पुलिस ने मां से पूछताछ की तब जाकर मामले का खुलासा हुआ। अगर पोस्टमार्टम नहीं होता तो चारों अपराधी बच कर निकल जाते।

खून से सने कपड़े भी किए थे बरामद

पुलिस ने मामले में बारीकी से सबूत जुटाए थे। पोस्टमार्टम के बाद लड़कियों की मां को काफी समझाया। आरोपियों की धमकी से वह काफी डरी थी। उन्हें सच्चाई बताने व दोषियों को सजा दिलाने की बात कही गई। तब उन्होंने पूरे मामले की जानकारी दी थी। जिसके बाद काफी बारीकी से सबूत जुटाए गए। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर खून से सने कपड़े भी बरामद किए थे। यह भी पुलिस के लिए बड़ा सबूत साबित हुआ। पुलिस जांच में सामने आया है कि लड़कियों के राशन कार्ड में उनकी उम्र करीब 11 व साढ़े 12 साल है। हालांकि उनकी मां ने उनकी आयु 13 व 15 साल बताई थी।

सोनीपत जिले में पहले भी हो चुकी है फांसी की सजा

  • सोनीपत न्यायालय ने फांसी की पहली सजा वर्ष 1983 में सुनाई थी। यह सजा लहना सिंह को सुनाई गई थी। उसने अपने भाई, माता व पिता को धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी थी।
  • फरमाणा गांव के सुरेंद्र को वर्ष 2003 में फांसी की सजा सुनाई गई। उसने अपनी मां का उपचार करने वाले चिकित्सक के बेटे का अपहरण कर लिया था। कुकर्म के बाद बच्चे की हत्या कर शव को अपने बेड में छिपा लिया था। उसके बाद शव को ईंटों में दबा दिया था।
  • शाहपुर गांव में धर्मपाल को वर्ष 1993 के मामले में फांसी की सजा हुई थी। उसने एक परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी थी। यह जिले का बहुचर्चित मामला रहा था। न्यायालय ने उसको फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में धर्मपाल की फांसी की सजा को सही ठहराया था। उनके भाई निर्मल को उम्रकैद मिली थी। बाद में धर्मपाल की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया।
  • न्यायाधीश आरपी गोयल ने 12 अक्तूबर 2021 को इज्जत के नाम पर तीन लोगों की हत्या के मामले में दोषी हरीश को फांसी की सजा सुनाई थी। इसी मामले में दूसरे दोषी मोनू को भी उनकी अदालत ने 3 मार्च, 2023 को फांसी ने सजा सुनाई थी।
  • अतिरिक्ति जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत ने 19 दिसंबर, 2022 को युवती का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में दो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
  • अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र सिंह ने 29 मई को गांव खंदराई में प्रेम विवाह करने से नाराज होकर झूठी शान के लिए बेटी की गला रेतकर हत्या करने के मामले में आरोपी पिता व भाई को अदालत ने दोषी करार दिया है। दोनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
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