रेवाड़ी। पुलिस द्वारा व्यापक स्तर पर चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों के बावजूद साइबर फ्रॉड की घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। रेवाड़ी में एक व्यक्ति को वीडियो कॉल से फंसाकर दो लाख की ठगी का मामला सामने आया है। थाना सदर के एक गांव निवासी व्यक्ति को बार-बार वीडियो कॉल से जाल में फंसाकर युवती ने लगभग दो लाख रुपये का चूना लगा दिया। इसके बाद भी उसे फर्जी पुलिस बनकर साइबर ठगों ने ब्लैकमेल करने का प्रयास किया। पुलिस ने उसकी शिकायत पर केस दर्ज करने के बाद आरोपियों का पता लगाने के प्रयास शुरू कर दिए।
युवती ने 14 अप्रैल को की थी वीडियो कॉल
थाना सदर पुलिस को दर्ज शिकायत में जयसिंह नाम के पीड़ित ने बताया कि उसके पास 14 अप्रैल को एक लड़की की कॉल आई थी। वह बार-बार उसके पास कॉल करने लगी। देर रात तक वह उसके पास वीडियो कॉल करने लगी। उसके मना करने के बाद भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आई। इसके बाद लड़की ने उसे धमकी दी कि अगर से 10 हजार रुपये नहीं दिए, तो वह उसका अश्लील वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर देगी। जयसिंह लड़की की धमकी से नहीं डरा। उसने उसे कोई पैसा ट्रांसफर नहीं किया।
16 को दूसरे नंबर से आया फोन
16 अप्रैल को उसके पास एक अन्य नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने उसे बताया कि नोएडा क्राइम ब्रांच से डीएसपी सुनील दत्त दुब बोल रहा है। पुलिस के पास किसी लड़की के साथ उसकी अश्लील वीडियो है। तुम्हारे खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। पुलिस तुम्हें जल्द गिरफ्तार करने के आ रही है।
वीडियो कॉल में दिखाए पुलिसकर्मी
जयसिंह ने बताया कि उसके पास कुछ समय बाद वीडियो कॉल आई। उसने सुनील दत्त बताने वाले ने चार-पांच वर्दी वाले पुलिसकर्मी दिखाते हुए कहा कि अगर यूट्यूब से वीडियो नहीं हटवाई, तो तुम्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। जयसिंह ने उन लोगों की बात अपने बेटे से कराई। इसके बाद बदनामी से बचने के लिए उनके बताए नंबरों पर 1.95 लाख रुपये चार बार में ट्रासंफर कर दिए गए। यह लोग उनसे 1.10 लाख रुपये और भेजने का दबाव बनाने लगे, तो उसने पुलिस की मदद ली। पुलिस ने केस दर्ज करने के बाद आरोपियों का पता लगाने के प्रयास शुरू कर दिए।
किरयाना की दुकान पर काम करता है पीड़ित
धारूहेड़ा थाना पुलिस को दर्ज शिकायत में जीतपुरा निवासी पवन कुमार ने बताया कि वह एक किरयाना की दुकान पर काम करता है। उसके पास एक मोबाइल नंबर से कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने उसे बताया कि वह बैंक का कर्मचारी है। उसका क्रेडट कार्ड अपडेट करना है, इसलिए वह कार्ड का सीसीवी नंबर बताए। उसने फोन करने वाले को सीवीवी नंबर बता दिया। इसके बाद उसके पास फोन आया कि मोबाइल पर जो ओटीपी नंबर मिला है, वह बताएं। पवन ने उसे ओटीपी नंबर बताने से मना कर दिया। विश्वास में लेने के लिए कॉल करने वाले व्यक्ति ने व्हाट्स एप पर अपना आई कार्ड भेज दिया।
बैंक कर्मचारी समझकर बताया ओटीपी
आई कार्ड भेजने के बाद पवन को विश्वास हो गया कि यह वास्तव में बैंक का कर्मचारी है। उसने फोन करने वाले को ओटीपी नंबर बता दिया। अगले दिन सुबह उसके पास मैसेज आए, जिसमें दो बाद उसके कार्ड से 35153 व 22861 यानि कुल 58014 रुपये निकलने की सूचना थी। पुलिस ने उसकी शिकायत पर केस दर्ज करने के बाद उन खातों का पता लगाने के प्रयास शुरू कर दिए, जिनमें यह राशि ट्रांसफर की गई है।