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हरियाणा के रेवाड़ी में बारिश के लंबे इंतजार ने भले ही आमजन को जमकर परेशान किया हो, परंतु मौसम साफ रहना ईंट भट्टा संचालकों के लिए भारी फायदे का सौदा साबित हुआ। पिछले साल की तुलना में ईटों का उत्पादन दोगुणा से भी ज्यादा हुआ है, जिससे ईंटों के दाम भी कम हुए हैं।

Rewari: इस बार बारिश के लंबे इंतजार ने भले ही आमजन को जमकर परेशान किया हो, परंतु मौसम साफ रहना ईंट भट्टा संचालकों के लिए भारी फायदे का सौदा साबित हुआ। पिछले साल की तुलना में ईटों का उत्पादन दोगुणा से भी ज्यादा हुआ है, जिससे ईंटों के दाम भी कम हुए हैं। भट्टों का संचालन 30 जून को अगले साल 31 मार्च तक के लिए बंद हो जाएगा। एनजीटी के आदेशों के अनुसार एनसीआर में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए 1 अप्रैल से 30 जून तक ही भट्टों के संचालन की अनुमति दी जाती है। गत वर्ष अप्रैल माह से लेकर जून और इसके बाद तक बार-बार बरसात होती रही थी।

बरसात के कारण ईंधन हो रहा था गीला, ईंट हो रही थी खराब

पिछले वर्ष बरसात के कारण ईंधन गीला होने और तैयार कच्ची ईंटों के खराब होने के कारण एक ओर जहां भट्टा मालिकों को नुकसान का सामना करना पड़ा, तो दूसरी ओर ईंटों के उत्पादन में भी भारी कमी आई। ईंट भट्टों पर समय से पहले ईंटों का स्टॉक कम हो गया था, जिससे ईंटों के दाम भी आसमान छूने लगे। इस बार मौसम भट्टा मालिकों के लिए वरदान साबित हुआ। बारिश नहीं होने के कारण इस बार उन्हें कच्ची ईंटों के खराब होने से छु़टकारा मिला। ईंधन सूखा होने के कारण समय पर ईंटों का अच्छा पकाव होता रहा। इससे ईंटों का उत्पादन डबल से ज्यादा हो गया। साथ ही ईंटों की क्वालिटी भी इस बार गत वर्ष की तुलना में काफी अच्छी मानी जा रही है। भट्टा मालिकों के लिए पर्याप्त स्टॉक तैयार हो चुका है, जिससे इस बार समय से पहले ईंटों की कमी नहीं आएगी। मानसून की शुरूआत ऐसे समय पर हो रही है, जब भट्टों के संचालन की मियाद पूरी होने जा रही है।

इस बार कंट्रोल में रहेंगे ईंटों के दाम

उत्पादन में कमी के कारण गत वर्ष ईंटों के दाम काफी बढ़ गए थे। जिले में लगभग 100 ईंट भट्टे हैं। उत्पादन में कमी के कारण भट्टों पर ही ईंटों के दाम प्रति हजार 6500 रुपये तक पहुंच गए थे। इस बार उत्पादन अच्छा होने के कारण ईंटों के दाम भट्टों पर 5500 से 6000 रुपये प्रति एक हजार बने हुए हैं। ईंट भट्टों पर अच्छा स्टॉक मौजूद होने के कारण भट्टे बंद होने के बाद भी भाव में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है, जिससे भवन निर्माण करने वाले लोगों को राहत मिली रहेगी।

अंडर कंट्रोल बना रहा प्रदूषण लेवल

बीते साल समय-समय पर होने वाली बरसात के कारण भट्टों पर इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन भीगता रहा था। इसके बाद गीले ईंधन से भट्टों की चिमनियों ने काफी ज्यादा धुआं उगला था। तीन माह के दौरान एक्यूआई 300 से पार बना रहा था। ईंधन सूखा रहने के कारण इस बार पर्यावरण पर भी भट्टों के संचालन ने विपरीत प्रभाव नहीं डाला। भट्टों का संचालन शुरू होने के बाद भी एक्यूआई का लेवल 200 से कम बना रहा, जिससे प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने भी राहत महसूस की।

बाहर से भी हो रही ईंटों की आवक

भवन निर्माण करने वाले लोगों को पड़ोसी राज्यों और जिलों से आने वाली ईंटों से भी काफी हद तक राहत मिल रही है। ईंटों की सप्लाई पड़ोसी राजस्थान और पंजाब से भी होने लगी है। इसके साथ-साथ झज्जर, रोहतक और भिवानी आदि जिलों से भी अच्छी क्वालिटी की सस्ती ईंटें आ रही हैं, जिस कारण लोग अब जिले के भट्टों पर ज्यादा डिपेंड नहीं हैं। बाहर से सप्लाई के कारण रेट कंट्रोल में हैं।

30 जून से बंद होंगे सभी ईंट भट्टे

एचएसपीसीबी के आरओ हरीश कुमार ने बताया कि ईंट भट्टों को चलाने के लिए एनजीटी ने 30 जून तक समय सीमा निर्धारित की हुई है। इस अवधि के बाद अगर कोई भट्टा चलता हुआ मिलेगा, तो उसके खिलाफ बोर्ड की ओर से एक्शन लिया जाएगा। भट्ठों को चलाने के लिए एक अप्रैल से 30 जून तक का समय निर्धारित किया गया था, जो पूरा होने जा रहा है। भट्टा एसोसिएशन के महासचिव मुकेश कुमार ने कहा कि गत वर्ष वर्षा सीजन बना रहने से भट्टा मालिकों को काफी नुकसान हुआ था। इस बार मौसम भट्टा संचालकों पर मेहरबान बना रहा है। ईंटों का उत्पादन अच्छा हुआ है, जिससे इसके दाम भी नियंत्रण में रहेंगे।

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