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हरियाणा में विपरीत दिशा से चलने वाली तेज हवाओं ने मौसम का मिजाज एक बार फिर ठंडा कर दिया है। मार्च की शुरूआत में मौसम में परिवर्तन देखने को मिलेगा। ठंड फसलों के लिए वरदान साबित हो रही है, लेकिन ओलावृष्टि हुई तो फसलों को नुकसान होने की आशंका है।

Haryana: विपरीत दिशा से चलने वाली तेज हवाओं ने मौसम का मिजाज एक बार फिर ठंडा कर दिया है। जाती हुई ठंड ने फिर से वापसी कर ली है। हवाओं की गति तेज रहने व आसमान साफ रहने के बावजूद ठंड का असर बना हुआ है। मौसम में मार्च माह के पहले दिन से बदलाव आने की संभावना है। आसमान में बादल छाने के बाद दो मार्च को हल्की या तेज बरसात की संभावना जताई जा रही है। मौसम में बदलाव का फायदा इस समय फसलों को खूब मिल रहा है। लेकिन अगर ओलावृष्टि हुई तो फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।

ठंड महसूस होने के चलते फिर निकले गर्म कपड़े

बुधवार को सुबह से ही आसमान पूरी तरह से साफ रहा। तेज धूप खिलने के साथ-साथ 16 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से हवा चली। इससे मौसम का मिजाज ठंडा हो गया। लोगों को एक बार फिर से गर्म कपड़े संभालने पड़े। अधिकतम और न्यूनतम दोनों तापमान में कमी दर्ज की गई। इससे रात के समय भी ठंड का अहसास होता रहा। गत वर्ष की तुलना में इस बार मौसम गर्म होने में समय लग रहा है। गत वर्ष फरवरी के अंत तक तापमान 32 डिग्री सेल्सियस के पार हो गया था, परंतु इस बार तापमान कम चल रहा है। ठंड के विदा होने में भी देरी हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण एक मार्च से मौसम में बदलाव आ सकता है। इससे आसमान में गहरे या आंशिक बादल छा सकते हैं। दो मार्च को कहीं हल्की, तो कहीं तेज बरसात हो सकती है। इस दौरान ओलावृष्टि भी हो सकती है।

गेहूं की फसल को मौसम से फायदा

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बीते सप्ताह तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल के रोग की चपेट में आने की आशंका बन गई थी। तापमान में गिरावट के कारण गेहूं की फसल का अच्छा पकाव हो सकता है। गर्म जमीन से दीमक बाहर आकर गेहूं को नष्ट कर सकती है। इस समय मौसम गेहूं की फसल के लिए काफी कारगर बना हुआ है। ओलावृष्टि के बिना होने वाली बरसात गेहूं का उत्पादन बढ़ाने का काम करेगी। सरसों की कटाई का कार्य भी तेजी से चल रहा है, परंतु पछेती फसल अभी कटाई के लिए तैयार नहीं हुई है।

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