Haryana BJP Membership Drive: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार भले ही मजबूत स्थिति में हो, लेकिन पार्टी संगठन विस्तार पर जोर देते हुए लगातार सदस्यता अभियान चला रही है। फिर भी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्यता अभियान का लक्ष्य अधूरा रह गया है। 50 लाख नए सदस्यों का लक्ष्य लेकर शुरू हुआ यह अभियान अभी तक केवल 39 लाख लोगों तक ही पहुंच पाया है। पार्टी ने 10 दिसंबर को सदस्यता अभियान समाप्त कर दिया, लेकिन अब तक लक्ष्य का 80 फीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है।
ऑनलाइन प्रक्रिया और हारे हुए क्षेत्रों में उत्साह की कमी बनी चुनौती
भाजपा नेताओं का मानना है कि इस बार सदस्यता प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होने के कारण कई लोग, खासकर बुजुर्ग, प्रक्रिया को पूरा नहीं कर सके। 2018 में सदस्यता के लिए मिस्ड कॉल प्रक्रिया थी, लेकिन इस बार फॉर्म भरने की जिम्मेदारी पूरी तरह से इच्छुक व्यक्तियों पर छोड़ दी गई। इसके अलावा, जिन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीदवार हारे हैं, वहां मतदाताओं का उत्साह कम दिख रहा है। पार्टी प्रवक्ता संजय शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सदस्यता अभियान की सफलता उत्साह पर निर्भर करती है। जीत वाले क्षेत्रों में ज्यादा लोग सदस्य बन रहे हैं, जबकि हार वाले क्षेत्रों में रुचि कम है।
अब तक 39 लाख सदस्य, सक्रिय सदस्यों का आंकड़ा भी कम
पार्टी ने हरियाणा में 50 लाख साधारण और 50,000 सक्रिय सदस्यों का लक्ष्य रखा था। हालांकि, अभी तक केवल 28,000 सक्रिय सदस्य ही बन पाए हैं। बता दें कि सक्रिय सदस्य बनने के लिए 50 नए सदस्यों को जोड़ने की जरूरत होती है। इसी के साथ ही लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने राज्यभर का दौरा किया, लेकिन प्रयास के बावजूद नामांकन संख्या अपेक्षा से कम रही है।
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लक्ष्य ऊंचा रखने से मिली प्रेरणा: भाजपा प्रवक्ता
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लक्ष्य हमेशा ऊंचा रखा जाता है, ताकि पार्टी नेता कड़ी मेहनत करें। 40 लाख सदस्य बनाना भी बड़ी उपलब्धि है। हम इन सदस्यों का इस्तेमाल संगठनात्मक चुनावों के लिए करेंगे और नए सदस्य जोड़ने का काम जारी रहेगा। वहीं, पार्टी हर छह साल में सदस्यता अभियान चलाती है। पिछली बार 2018 में यह अभियान चलाया गया था, जब 32 लाख सदस्य बनाए गए थे। इस बार यह आंकड़ा 40 लाख तक पहुंचा है। पार्टी प्रवक्ता संजय शर्मा के मुताबिक, भाजपा का लक्ष्य संगठन को और मजबूत करना है, लेकिन तकनीकी चुनौतियां और हारे हुए क्षेत्रों में रुचि की कमी से यह प्रयास कठिन होता है।
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