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हरियाणा के नूंह में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर को पलवल कोर्ट ने 6 महीने कैद और 200 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। उन पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। 

Haryana News: हरियाणा के पलवल जिला कोर्ट में एक इंस्पेक्टर को छह महीने कैद की सजा सुनाई गई है और 200 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। आरोप है कि आरोपी ने कोर्ट के फैसले की अवहेलना की है। इंस्पेक्टर को साल 2023 में एक आरोपी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था। लेकिन, उन्होंने उसे गिरफ्तार नहीं किया। इस समय दोषी इंस्पेक्टर नूंह में तैनात हैं और जब इस मामले को लेकर जांच शुरू हुई थी, तब वे पलवल के सदर थाने के प्रभारी थे। 

आरोपी को गिरफ्तार न करने पर मिली सजा

जानकारी के मुताबिक, इंस्पेक्टर रामचंद्र पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का मामला साल 2023 से चल रहा है। उस समय वे जुर्माना भर कर जेल जाने से बच गए। उससे पहले पलवल जिला कोर्ट में घरेलू झगड़े का एकल मामला सामने आया। इसमें एक महिला सत्यवती अपने पति सुभाष से गुजारा भत्ता मांग रही थी लेकिन पति उसे गुजारा भत्ता नहीं देना चाहता था। कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, तो कोर्ट ने महिला की मांग को जायज माना और आदेश दिया कि सुभाष को हर महीने तीन हजार रुपए अपनी पत्नी को बतौर गुजारा भत्ता देना होगा।

गुजारा भत्ता न देने पर पुलिस इंस्पेक्टर को आदेश दिया गया कि वे सुभाष को गिरफ्तार करें। कोर्ट ने ये भी आदेश दिया कि अगर सुभाष कोर्ट में  1 लाख 65 हजार रुपए जमा कर दे, तो उसे गिरफ्तार न किया जाए। ये आदेश तत्कालीन सदर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रामचंद्र को दिए गए। कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्होंने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। 

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सुओ मोटो के जरिए इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज

इसके बाद कोर्ट ने सुओ मोटो के जरिए इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दे दिया। अब CJM सीमा की कोर्ट ने सोमवार को इंस्पेक्टर रामचंद्र के खिलाफ 6 महीने जेल और 200 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इंस्पेक्टर ने मौके पर ही 200 रुपए जुर्माने की पर्ची कटवाकर जमानत ले ली। कोर्ट ने मुचलका भर आरोपी इंस्पेक्टर को कच्ची जमानत दे दी और उन्हें ये आदेश दिया कि 18 जनवरी तक पक्की जमानत ले लें। 

जानें क्या है पूरा मामला?

वहीं इस मामले पर इंस्पेक्टर रामचंद्र का कहना है कि जिस गांव का वो मामला था, वो पहले सदर थाने के अंतर्गत आता था। बाद में उसे मुंडकटी थाने के अंतर्गत शामिल कर दिया गया। इसलिए इस मामले की आगे की कार्रवाई मुंडकटी थाने को करनी थी। कोर्ट से जो नोटिस आते थे, वो भी मुंडकटी थाना जाते थे। वहां से कार्रवाई के बाद रिपोर्ट अदालत को दे दी जाती थी। इस मामले के बारे में मुझे जानकारी नहीं थी। जब मुझे कोर्ट में बुलाया गया, तो मैं पेश हुआ और अपनी बात कोर्ट के समक्ष रखी। इसके बावजूद कोर्ट ने ये सजा सुनाई है, इस मामले में मेरी कोई गलती नहीं हैं और मैं इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाऊंगा।  

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