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हरियाणा के रेवाड़ी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता व ओबीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए कांग्रेस को बड़ा झटका दिया। कैप्टन का भूपेंद्र हुड्डा के साथ 36 का आंकड़ा चल रहा था, जिसके कारण उन्हें पार्टी में भाव नहीं मिल रहा था।

रेवाड़ी: अस्सी के दशक में कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने वीरवार सायं पार्टी को बड़ा झटका दे दिया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस्तीफा भेजने के बाद खुद कैप्टन ने सोशल साइट एक्स पर इसका खुलासा किया। हालांकि अभी उन्होंने किसी अन्य दल में शामिल होने को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। उनके बेटे चिरंजीव राव ने इसे पिता का व्यक्तिगत फैसला बताते हुए पार्टी में जीवन भर बने रहने की बात कही है। अब देखना यह है कि कैप्टन किस पार्टी में जाने की सोच रहे हैं।

भूपेंद्र हुड्डा के साथ रहा 36 का आंकड़ा

अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के बाद सबसे कद्दावर नेता रह चुके कैप्टन अजय सिंह यादव की भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पटरी नहीं बैठ पा रही थी। उनके हुड्डा के साथ मतभेद 2011 में उस समय शुरू हो गए थे, जब सीएम पद पर रहते हुए हुड्डा ने उनसे वित्त विभाग वापस ले लिया था। कैप्टन कई बार भूपेंद्र हुड्डा की आलोचना करते नजर आए, तो कई बार सराहना करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। कैप्टन रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार 6 बार विधायक चुने गए थे। लोकसभा चुनावों से पहले उनकी हुड्डा से तल्खियां बढ़ गई थी। ओबीसी सेल का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद कांग्रेस में उन्हें सम्मान नहीं दिया जा रहा था।

प्रचार के लिए नहीं आए पार्टी के वरिष्ठ नेता

कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव के चुनाव प्रचार में कांग्रेस की ओर से पार्टी के स्टार प्रचारकों को रेवाड़ी नहीं भेजा गया। जातिगत समीकरण साधने के लिए कैप्टन ने खुद कुछ प्रभावशाली नेताओं को अपने स्तर पर प्रचार के लिए जरूर बुलाया था। बेटे चिरंजीव राव की हार के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के रुख को लेकर कैप्टन नाराज नजर आ रहे थे। उन्होंने वीरवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता व ओबीसी सेल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

चिरंजीव ने बताया पिता का अपना फैसला

इस संबंध में कैप्टन के बेटे पूर्व विधायक चिरंजीव राव से बात की तो उन्होंने इसे अपने पिता का व्यक्तिगत फैसला बताया। चिरंजीव राव ने बताया कि उनके पिता ने अपनी मर्जी से निर्णय लिया है। वह किस पार्टी में जाएंगे, यह भी वह खुद ही बताएंगे। पिता के कांग्रेस छोड़ने के बावजूद वह पार्टी में आजीवन बने रहेंगे। उनका पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। कैप्टन के इस्तीफे से कांग्रेस की राजनीति में और उफान आने की आशंका बन गई है।

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