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हरियाणा के रेवाड़ी में अहीरवाल के सबसे कद्दावर नेता विधानसभा चुनावों को लेकर आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतर चुके हैं। इस क्षेत्र की एक-दो सीटों को छोड़कर अन्य सभी पर राव अपने खास समर्थकों को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। राव खेमा कांग्रेस में जाने के बावजूद कोसली में जगदीश यादव की घेराबंदी करने में कसर नहीं छोड़ेगा। 

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: लोकसभा चुनावों में लाखों की जीत हजारों वोटों में बदलने के बाद अहीरवाल के सबसे कद्दावर नेता विधानसभा चुनावों को लेकर आक्रामक रणनीति के साथ मैदान में उतर चुके हैं। इस क्षेत्र की एक-दो सीटों को छोड़कर अन्य सभी पर राव अपने खास समर्थकों को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। उनके विरोधी भी अभी तक आगामी रणनीति को खुलकर नहीं समझ पाए हैं। कई सीटों पर टिकट के दावेदार अपनी टिकट पक्की मानकर चल रहे हैं। दूसरी ओर यह भी मानते हैं कि राव टिकट के समय बड़ा रोल अदा कर गए, तो उनकी टिकट का रास्ता बंद हो सकता है। विरोधियों को झटका देना शुरू से ही राव की फितरत में रहा है, जिसे देखते हुए राव खेमा कांग्रेस में जाने के बावजूद कोसली में जगदीश यादव की घेराबंदी करने में कसर नहीं छोड़ेगा।

कई विधानसभाओं में भाजपा के टिकट दावेदारों की लाइन लंबी

भाजपा में कई विधानसभा क्षेत्रों में टिकट के दावेदारों की लाइन काफी लंबी है। हर दावेदार अपनी टिकट उसी सूरत में पक्की मानकर चल रहा है, जब टिकट आवंटन के समय राव इंद्रजीत सिंह का हस्तक्षेप नहीं हो। दावेदार टिकट की लड़ाई में जंग दूसरे दावेदारों की बजाय राव के साथ मानकर चल रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों से पहले तत्कालीन सीएम मनोहरलाल से टिकट के आश्वासन पर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री जगदीश यादव राव के हस्तक्षेप से टिकट पाने से चूक गए थे। उन्होंने टिकट नहीं मिलने के कारण चुनाव ड्रॉप करना पड़ा था। भाजपा में वैसे ही हालात दोहराए जाने की आशंका के साथ जगदीश टिकट की उम्मीद के साथ कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। जगदीश यादव की राजनीति पूरी तरह से रामपुरा हाउस के विरोध पर आधारित रही है।

अन्य हलकों में भी विरोधियों पर नजर

राव की कोसली के साथ-साथ अहीरवाल के दूसरे उन हलकों पर भी खास नजर है, जिनमें उनके पुराने राजनीतिक विरोधी सक्रिय हो रहे हैं। बादशाहपुर से राव नरबीर सिंह, अटेली से संतोष यादव, रेवाड़ी से अरविंद यादव व कई अन्य विरोधियों पर राव की पैनी नजर है। अगर भाजपा टिकट के मामले में उन्हें इस बार भी फ्री हैंड देती है, तो भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने का सपना देख रहे कई दिग्गजों को खाली हाथ रहना पड़ सकता है। टिकट के समय राव की नहीं चली, तो विरोधियों को झटका देने के लिए दूसरी रणनीति पर काम शुरू कर देंगे।

कोसली से रवि को मिल सकता है मौका

साढ़े चार दशक तक राव इंद्रजीत सिंह के मजबूत सारथी बने रहे उनके राजनीतिक सलाहकार कम चाणक्य रवि यादव को गत विधानसभा चुनावों में ही राव ने भाजपा की टिकट दिलाने का प्रयास किया था। राव के कुशल रणनीतिकार साबित हो चुके रवि यादव ने इस बार बिना शोर-शराबा किए फेस-टू-फेस जनसंपर्क अभियान शुरू किया हुआ है। आरती को किसी दूसरे हलके से टिकट मिलने की सूरत में राव कोसली से रवि यादव के लिए टिकट की पैरवी करने में कोई असर इस बार नहीं छोड़ना चाहेंगे। इससे टिकट के दूसरे दावेदारों को झटका लग सकता है।

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