नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: आपसी गुटबाजी के चलते गत विधानसभा चुनावों में रेवाड़ी सीट खो चुकी भाजपा इस बार प्रत्याशी के चयन में कोई चूक नहीं करना चाहती। इसके लिए पार्टी आंतरिक और एजेंसी दोनों से सर्वे तो करा ही रही है, अब पदाधिकारियों से भी राय ली जा रही है। इसी के तहत केंद्र की ओर से भेजे गए विशम्बर वाल्मीकि और जवाहर यादव ने पदाधिकारियों की राय मतपेटी में बंद करके अपने साथ ले गए। यह पेटी अब केंद्रीय पदाधिकारियों के सामने ही खुलने वाली है, जिसमें सशक्त नजर आने वाले चेहरे के नाम पर विचार किया जा सकता है।
टिकट दावेदारों की संख्या अधिक
हलके में भाजपा की टिकट के दावेदारों की संख्या काफी अधिक है। पिछले विधानसभा चुनावों में यह सीट राव इंद्रजीत सिंह के पाले में थी। उन्होंने सुनील मुसेपुर को प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद ही भाजपा में खुलकर जंग शुरू हो गई थी। पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास की पार्टी से बगावत ने भाजपा प्रत्याशी सुनील मुसेपुर की आसान नजर आने वाली जीत को हार में बदल दिया था। इस बार कापड़ीवास के भतीजे मुकेश कापड़ीवास इस हलके से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उन्होंने काफी समय से हलके में जनसंपर्क अभियान तेज किया हुआ है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी उनका तालमेल अच्छा है, जिसके दम पर वह टिकट को लेकर आश्वस्त हैं।
पदाधिकारियों से पर्चियों से मांगे नाम
वाल्मीकि और जवाहर ने भाजपा कार्यालय में रविवार को आयोजित मीटिंग में पदाधिकारियों से तीन-तीन नाम पर्ची में लिखकर गोपनीय तरीके से पेटी में डालने को कहा था। ताला लगी हुई पेटी भी वाल्मीकि अपने साथ लाए थे। यह प्रक्रिया चुनाव में होने वाले मतदान की तरह गुप्त रही। पेटी का ताला भी शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में खुलने वाला है, जिसके बाद पदाधिकारियों की पहली, दूसरी और तीसरी पसंद सामने आ सकेगी। हालांकि कुछ पदाधिकारियों ने सूचना नहीं होने की बात कहते हुए भाजपा कार्यालय पहुंचकर हंगामा भी किया, परंतु बाद में मामला शांत हो गया।
भाजपा को एंटी राव खेमे से करना होगा चयन
विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी का चयन सीधे तौर पर राव और एंटी राव खेमे के बीच होना है। अगर पार्टी इस सीट पर गत विधानसभा चुनावों की तरह फैसला राव पर छोड़ती है, तो राव की मर्जी के मुताबिक ही प्रत्याशी खड़ा होगा। अगर राव की जगह पार्टी प्रत्याशी का चयन खुद करती है, तो राव विरोधी खेमे से जुड़े दावेदारों में से ही किसी एक की लॉटरी निकल सकेगी। गुटबाजी को खत्म करते हुए जिताऊ प्रत्याशी मैदान में उतारने के लिए जिलाध्यक्ष की भूमिका भी इस बार खास मानी जा रही है। एक दिन पूर्व पेटी में बंद राय भी अपना रंग जल्द दिखा सकती है।